दिल्ली: पिछले आठ वर्ष में यमुना में प्रदूषण का स्तर करीब दोगुना हो गया है। यमुना नदी के दिल्ली में प्रवेश करने पर पल्ला गांव में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा तयशुदा सीमा के अंदर रही। 2014 में ओखला बैराज पर बीओडी लोड 32 था, जो 2023 में बढ़कर 56 हो गया जबकि पल्ला में बीओडी के स्तर में कोई बदलाव नहीं आया। दिल्ली के एलजी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक में डीपीसीसी, पर्यावरण विभाग और दिल्ली जलबोर्ड की ओर से पेश प्रस्तुति में सच्चाई सामने आई।
यमुना में साल दर साल प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है। 2014 के बाद वर्ष 2019 में यमुना नहर की मरम्मत के कारण हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से यमुना में चार गुना अधिक पानी छोड़ा गया था। इससे अधिकतर प्रदूषक प्रवाहित हो गए। बैठक में यह सामने आया कि प्रदूषण रोकने में आम आदमी पार्टी सरकार पूरी तरह विफल रही। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के लगातार निर्देशों के बावजूद नजफगढ़ नाले से होने वाले प्रदूषण को रोकने में दिल्ली सरकार को कामयाबी नहीं मिली। 2014 में आईएसबीटी के ठीक बाद यमुना में नजफगढ़ नाला के प्रवेश करने के बाद बीओडी की मात्रा 26 से बढ़कर 2017 में 52 हो गई थी।