गृहमंत्रालय ने रेंसमवेयर अटैक से निबटने के लिए एक माह पहले ही बना दी थी टास्क फोर्स
दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्रालय को देश में रेंसमवेयर साइबर अटैक का आभास पहले से ही हो गया था। इसे देखते हुए गृहमंत्रालय ने एम्स में साइबर अटैक होने से एक माह पहले ही टास्क फोर्स बना दी थी। इसमें रेंसमवेयर अटैक को रोकने के लिए बड़ी-बड़ी संस्थाओं को शामिल किया गया था।
हालांकि, टास्क फोर्स में दिल्ली पुलिस को शामिल नहीं किया गया। एम्स के सर्वर पर हुए साइबर अटैक को अब तक सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। टास्क फोर्स भी एम्स साइबर अटैक मामले की जांच कर रही है। दूसरी तरफ एक केंद्रीय मंत्री के व्यक्तिगत मेल पर भी साइबर अटैक का प्रयास किया गया था।
एम्स साइबर अटैक मामले की जांच कर रही एक संस्था के अधिकारी ने बताया कि गृहमंत्रालय को पहले भी आभास हो गया था कि देश में रेंसमवेयर साइबर अटैक हो सकता है। इसे देखते हुए गृहमंत्रालय के साइबर सूचना सुरक्षा प्रभाग ने खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राष्ट्रीय काउंटर रेंसमवेयर टास्क फोर्स (एनसीआरटीएफ) का 22 अक्तूबर, 2022 को ही गठन कर दिया था। इसके एक महीने बाद ही 23 नवंबर की सुबह एम्स के सर्वर पर साइबर अटैक हो गया। रेंसमवेयर एक प्रकार का मैलवेयर हमला है, जिसमें साइबर अपराधी पीड़ितों के डाटा को एक्सेस, लॉक व प्रभावित करता है। टास्क फोर्स में गृहमंत्रालय के विशेष सचिव, सीईआरटी आईएन के महानिदेशक, ग्रहमंत्रालय के अपर सचिव, एनएससीएस की अपर सचिव, विदेश मंत्रालय के साइबर कूटनीति के संयुक्त सचिव, डीओटी के डीडीजी (सुरक्षा), डीईए, एनआईए, डीसीवाईए, सीबीआई, एनएफएसवी, आरबीआई और आईआईटी कानपुर के नामित अधिकारी को शामिल किया गया है।
दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार टास्क फोर्स भी एम्स साइबर हमले की जांच में लगी हुई है। दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार ये हमला इतना बड़ा है कि इससे एम्स का मेन सर्वर और एप्लीकेशन सर्वर को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। गौरतलब है कि हांगकांग से दो मेल आईडी से एम्स के सर्वर पर रेंसमवेयर साइबर अटैक हुआ है।