सेवानिवृत्त कर्मचारी की पत्नी के इलाज पर खर्च रुपये का करे भुगतान, दिल्ली सरकार को हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह दिल्ली सरकार से थोड़ी अधिक संवेदनशीलता की अपेक्षा करता है.
दिल्ली: उच्च न्यायालय ने कहा कि वह दिल्ली सरकार से थोड़ी अधिक संवेदनशीलता की अपेक्षा करता है. जब वह वरिष्ठ नागरिकों के चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के दावों से निपट रही है, जो उनके स्वयं के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। अदालत ने एक अवकाशप्राप्त न्यायिक अधिकारी की पत्नी के इलाज पर खर्च चार लाख 27 हजार 276 रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हुए यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने दिल्ली सरकार के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें इलाज खर्च संबंधी मांग को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता की पत्नी को चोलोंगियो कार्सिनोमा नामक दुर्लभ प्रकार के कैंसर का पता चला व उसे चेन्नई के अपोलो अस्पताल में प्रोटॉन थेरेपी से गुजरने की सलाह दी गई थी। इसके बाद उन्होंने चेन्नई के अपोलो अस्पताल में अपनी पत्नी को इलाज की अनुमति देने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने के लिए एक अन्य याचिका दायर की थी।
सरकार ने उनकी पत्नी को उक्त उपचार कराने के लिए अपनी अनापत्ति से अवगत करा दिया, लेकिन कोविड-19 मामलों में तेजी से वृद्धि के कारण उक्त अनुमति का लाभ नहीं उठाया जा सका। सितंबर 2020 में याचिकाकर्ता की पत्नी की हालत बिगड़ने पर उसे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज पर खर्च 4,27,276 रुपये के बिल का भुगतान के बाद छुट्टी दे दी गई।
याचिकाकर्ता ने तब प्रतिपूर्ति के लिए अपना दावा पेश किया तो जिला सत्र न्यायाधीश तीस हजारी ने दिल्ली सरकार को भेज दिया गया था। दिल्ली सरकार ने आक्षेपित आदेश के तहत दावे को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि दिल्ली सरकार ने अपने स्वयं के कार्यालय सर्कुलर 28 जुलाई 2010 को यह कहते हुए नजरअंदाज कर दिया था कि डीजीईएचएस योजना के तहत लाभार्थी भी दिल्ली के बाहर केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना के सूचीबद्ध अस्पतालों में चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के हकदार होंगे।
उन्होंने कहा मेदांता अस्पताल सीजीएचएस के तहत सूचीबद्ध है और उसके दावे को खारिज नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर दिल्ली सरकार ने कहा कि अब अस्पताल को डीजीईएचएस के तहत सूचीबद्ध नहीं किया गया, तो उसे प्रतिपूर्ति के लिए याचिकाकर्ता के दावे को स्वीकार नहीं करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इसके अलावा यदि मान लिया जाए कि पहले भले ही मेदांता अस्पताल को सीजीएचएस के तहत सूचीबद्ध किया गया था, याचिकाकर्ता डीजीईएचएस का सदस्य है ऐसे में उक्त अस्पताल में किए गए खर्च के लिए प्रतिपूर्ति की मांग नहीं कर सकता।
अदालत ने कहा जहां डीजीईएचएस के तहत एक लाभार्थी को बाहर के अस्पताल में इलाज करने की अनुमति दी जा सकती है। बशर्ते कि यह सीजीएचएस के साथ सूचीबद्ध है। उक्त प्रावधान एक कल्याणकारी प्रावधान होने के कारण इसका पूर्ण प्रभाव दिया जाना है और प्रतिवादी, याचिकाकर्ता के दावे को इस आधार पर खारिज नहीं कर सकता है कि मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम डीजीईएचएस के तहत सूचीबद्ध नहीं है। अदालत ने कहा कि जब याचिकाकर्ता की पत्नी का दिल्ली के बाहर एक अस्पताल में इलाज करने की अनुमति दी जा सकती है जो सीजीएचएस के साथ सूचीबद्ध है तो दिल्ली सरकार को दावे को खारिज करने का निर्णय स्पष्ट रूप से मनमाना और अवैध है।