दिल की जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चे का हुआ सफल इलाज, चार साल लंबे इंतजार के बाद एम्स में हुई दिल की सर्जरी

एम्स में दिल की जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चे आयुष गुप्ता की बुधवार को सर्जरी कर दी गई।

Update: 2022-05-12 03:08 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एम्स में दिल की जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चे आयुष गुप्ता की बुधवार को सर्जरी कर दी गई। सर्जरी के बाद उसे आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया है। अभी उसकी हालत स्थिर है। डॉक्टरों का कहना है कि जरूरत पड़ी तो एक और सर्जरी करेंगे।

दरअसल, बुधवार को आयुष की व्यथा की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। आयुष के दिल में छेद था और चार साल पहले 2018 में उसकी सर्जरी के लिए खून और पैसे जमा करा लिए गए थे, लेकिन उसे सर्जरी की तारीख नहीं मिली थी।
आयुष के पिता रमेश ने कहा कि मामला प्रकाशित होने के बाद डॉक्टरों ने संज्ञान लिया और उसकी सर्जरी हो सकी। बच्चे की सर्जरी के बाद रमेश गुप्ता भावुक हो गए। अभी डॉक्टरों ने बच्चे के दिल के छेद को ठीक करने के लिए एक और सर्जरी की आशंका जताई है तो ऐसे में रमेश का कहना है कि अब जब एक सर्जरी हो गई है तो दूसरी भी सही हो जाएगी और उनका आयुष जल्द ठीक होकर घर लौट जाएगा। यह मामला एम्स के कार्डिओ थोरोसिक विभाग का है।
बच्चे का शरीर नीला पड़ने लगा था
रमेश ने बताया कि दिल की इस जन्मजात बीमारी की वजह से वह बहुत कमजोर हो गया था और उसका शरीर नीला पड़ने लगा था।
वर्ष 2016 में चला था बच्चे की बीमारी के बारे में पता
नोएडा में डिलिवरी ब्वॉय का काम करने वाले रमेश गुप्ता ने बताया कि उनका बेटा आयुष जन्म से दिल की वीएसडी बीमारी से पीड़ित है। उसके दिल में सुराख है और बायें और दायें ओर जुड़ने वाली रक्तवाहिनी गलत तरीके से जुड़ी हैं। इससे दिल में ऑक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त और बिना ऑक्सीजन वाला अशुद्ध रक्त आपस में मिलने का खतरा होता है। रमेश ने बताया कि साल 2016 में उनके बच्चे के दिल में जब सुराख होने का पता चला तो एम्स में इलाज शुरू किया गया। डॉक्टर ने सर्जरी के लिए कहा था।
उन्होंने बताया कि इसके कुछ दिन बाद ओपीडी में सर्जरी के लिए पैसे और खून जमा करने के लिए कहा गया। 5 जुलाई 2018 को उन्होंने बेटे की सर्जरी के लिए 60 हजार रुपये और चार इकाई रक्त जमा कराया था। रमेश ने कहा कि तब से वे हर 15 दिन में एक बार एम्स की ओपीडी में जरूर जाते थे लेकिन उन्हें सर्जरी की तारीख नहीं मिल पाई थी। हर बार अगली बार आने के लिए कह दिया जाता था।
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