नई दिल्ली (आईएएनएस)| यमुना में प्रदूषण की रोकथाम के लिए पुजारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पुजारियों को इस बात की ट्रेनिंग दी जा रही है कि पूजा पाठ के कचरे को यमुना नदी में न डाला जाए। इसके अंतर्गत पुजारियों को प्रसाद की पैकेजिंग में पर्यावरण अनुकूल सामग्री के उपयोग, नदी में कूड़ा-कचरा या प्लास्टिक फेंकने से रोकने और मूर्ति बनाने में बायोडिग्रेडेबल सामग्री के उपयोग संबंधी प्रशिक्षण शामिल है।
यमुना में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए यमुना के कन्वेंशन सेंटर में सोमवार को पुजारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उपराज्यपाल, वी.के. सक्सेना इस कार्यक्रम में उपस्थित थे और उन्होंने प्रतिभागियों को जागरूक करने और बदलाव लाने वालों की भूमिका निभाने का आग्रह किया।
एलजी ने कहा कि पुजारी और पुरोहित विभिन्न आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं के संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन धार्मिक आयोजनों में जो कचरा उत्पन्न होता है, उसे यमुना में फेंक दिया जाता है। इस तरह के निस्तारण से यमुना में प्रदूषण होता है। इस संदर्भ में, यमुना प्रदूषण को रोकने और नदी की पवित्रता की रक्षा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शहर भर के पुजारियों को आमंत्रित किया गया। एलजी ने जोर देकर कहा कि यमुना नदी के कायाकल्प के किसी भी प्रयास में अनिवार्य रूप से दिल्ली के लोगों को शामिल करना होगा, जो इस कार्य में सबसे बड़े हितधारक हैं।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में, पुजारियों को विशिष्ट सर्वोत्तम तरीकों के बारे में बताया गया जो यमुना में प्रदूषण को रोकने में मदद कर सकती हैं। इनमें धार्मिक प्रसाद में पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों के उपयोग को बढ़ावा देना, नदी में कचरे या प्लास्टिक के डंपिंग को हतोत्साहित करना और लोगों को नदी के किनारे स्थित मंदिरों और आश्रमों में अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं के बारे में शिक्षित करना शामिल है। पुजारियों से जागरूकता बढ़ाने, स्थानीय समुदायों और अन्य हितधारकों के साथ पर्यावरण के अनुकूल स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभाने का अनुरोध किया गया और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने को कहा गया।
पुजारियों को प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में लोगों को जागरूक करने और उनका पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा गया। उन्हें बताया गया कि लोगों और धार्मिक संस्थानों को फूल, भोजन, प्लास्टिक, या अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं सहित किसी भी तरह के कचरे को नदी में फेंकने पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए। पुजारी लोगों को अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में सूचित करें कि कचरे को ठीक से एकत्र किया जाना चाहिए और निर्धारित कूड़ेदानों में निपटाया जाना चाहिए या उचित निपटान के लिए नदी तट से दूर ले जाया जाना चाहिए।
इसके अलावा पुजारियों से कहा गया कि पर्यावरण अनुकूल सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए। प्लास्टिक या अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री के बजाय प्राकृतिक फूलों, पत्तियों और जैविक सामग्री जैसे पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करके धार्मिक अनुष्ठान किए जाने चाहिए। इससे कचरे की मात्रा कम करने और प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी। इसके अलावा पुजारी यह सुनिश्चित करें कि नदी के किनारे पर्याप्त संख्या में कूड़ेदान उपलब्ध हों और इन्हें नियमित रूप से खाली किया जाए।
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