देशद्रोह मामला: उमर खालिद सुनवाई के दौरान बिना हथकड़ी के होंगे पेश, कोर्ट ने दिया आदेश

पटियाला हाउस कोर्ट ने जेएनयू देशद्रोह (JNU Sedition case ) मामले में आरोपी उमर खालिद (Umar Khalid) को सुनवाई के दौरान बेड़ियों या हथकड़ी के साथ कोर्ट में पेश न करने का निर्देश दिया है.

Update: 2022-01-19 14:28 GMT

नई दिल्ली. पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने जेएनयू देशद्रोह (JNU Sedition case ) मामले में आरोपी उमर खालिद (Umar Khalid) को सुनवाई के दौरान बेड़ियों या हथकड़ी के साथ कोर्ट में पेश न करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कोविड-19 के कारण मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए खालिद को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश किया जाए. अदालत ने कहा जब कोविड -19 प्रतिबंध खत्म हो जाए तो खालिद को नियमित तरीके से हथकड़ी या बेड़ियों का उपयोग किए बिना अदालत में पेश किया जाए. कोर्ट ने यह निर्देश खालिद के वकील त्रिदीप पेस की याचिका पर दिया है.

वहीं, पिछले हफ्ते दिल्ली दंगों से जुड़ी साजिश के मामले में छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि उमर खालिद का मुख्य मकसद केंद्र सरकार को घुटने टेकने के लिए मजबूर करना और लोकतंत्र की बुनियादी को अस्थिर करने का था. जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज है. फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.वापस लेने के लिए कैसे दबाव बनाया जाए
दिल्ली दंगों से जुड़े इस मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर पिछले 5 महीने से सुनवाई चल रही है. विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान उमर खालिद के उन दावों का विरोध किया जिसमें उसने जांच एजेंसी द्वारा दाखिल आरोप पत्र को एक कल्पना बताया था. स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत के समक्ष कहा कि, दंगों के जरिए इन लोगों को मुख्य उद्देश्य नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर लोकतंत्र की बुनियाद को अस्थिर करने का था. यह लोग चाहते थे कि केंद्र सरकार पर सीएए को वापस लेने के लिए कैसे दबाव बनाया जाए.


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