सत्येंद्र जैन को 'विकृत दिमाग' वाला बताने की याचिका SC ने खारिज की, ठोका ₹20 हजार जुर्माना

Update: 2022-10-14 10:54 GMT

दिल्ली के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री रहे आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक सत्येंद्र जैन, जो 30 मई से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, उन्‍हें "बेवकूफ दिमाग वाला व्यक्ति" बताते हुए विधानसभा के लिए अयोग्य घोषित करने की याचिका एक शख्‍स ने देश की सर्वोच्‍च अदालत सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी। उस याचिका को आज सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने "हास्यास्पद" बताया है। बेंच ने कहा है कि, दिल्ली के एक निवासी द्वारा दायर याचिका 'तुच्छ' है। इसके बाद न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की बेंच ने याचिका को ₹20,000 के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की बेंच ने याचिकाकर्ता को फटकारते हुए कहा कि, यह (याचिका) इतनी हास्यास्पद है कि हमें आपको जुर्माने का भुगतान करने के लिए कहना चाहिए। बेंच ने याचिकाकर्ता आशीष कुमार श्रीवास्तव को अपने आदेश में एक हफ्ते के भीतर जुर्माना जमा करने को कहा। बेंच ने कहा, "यह एक ऐसी गलत और तुच्छ याचिका है जिसे 20,000 रुपये की लागत से खारिज किया जाना चाहिए।"

इससे पहले श्रीवास्तव के वकील ने बेंच के समक्ष तर्क दिया कि सत्येंद्र जैन ने पूछताछ के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों से कहा था कि उन्होंने कोविड-19 के कारण अपनी याददाश्त खो दी। वकील ने कहा कि 'आप' के विधायक इसलिए संविधान के अनुच्छेद 191(1)(बी) के तहत अयोग्य ठहराए जाएं, क्‍योंकि कानून में एक विकृत दिमाग वाले विधायक को अयोग्य ठहराने का प्रावधान है। वकील के इस तर्क का जवाब देते हुए आज सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा,"उन्होंने (जैन) यह नहीं कहा कि उनकी याददाश्त चली गई है, लेकिन उन्होंने इस तरह कहा था कि उन्हें कुछ चीजें याद नहीं हैं। दोनों बात में फर्क है। साथ ही, कोविड ने एक ऐसा महौल बना दिया, जहां लोग प्रभावित हुए। हम यह नहीं कह रहे हैं कि वह इसका फायदा उठा रहे हैं या नहीं, लेकिन हम इस तरह की याचिका पर विचार नहीं कर सकते।'

बता दें कि, आशीष कुमार श्रीवास्तव नाम के शख्‍स ने अगस्त में दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। उच्च न्यायालय ने तब नोट किया था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता सभी आकस्मिकताओं को पूरा करती है और यह अभियोजन/अदालत के लिए कानून के अनुसार उचित कदम उठाने के लिए है। जुलाई में, उच्च न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जैन की गिरफ्तारी के बाद उन्हें कैबिनेट से निलंबित करने के लिए आई एक अलग याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि, यह निर्णय मुख्यमंत्री को लेना है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को मंत्री के रूप में बने रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं।'


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