सत्येंद्र जैन और वैभव को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगा कोर्ट से झटका, 20 जुलाई तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत

अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन और वैभव जैन की न्यायिक हिरासत 20 जुलाई तक बढ़ा दी है।

Update: 2022-07-12 02:10 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन और वैभव जैन की न्यायिक हिरासत 20 जुलाई तक बढ़ा दी है। राउज एवेन्यू कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गीतांजलि गोयल के समक्ष प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को वैभव जैन की रिमांड अवधि व जैन की न्यायिक हिरासत खत्म होने पर पेश किया। मामले में तीसरा आरोपी अंकुश जैन पहले से ही न्यायिक हिरासत में है।

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अधिवक्ता हुसैन और नवीन कुमार मट्टा ने अदालत को बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मंत्री की मदद करने वालों में अंकुश जैन और वैभव जैन भी शामिल हैं। उन्होंने आरोपियों की न्यायिक हिरासत बढ़ाने का आग्रह किया। अदालत ने उनके आग्रह पर आरोपियों की न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ा दी।
30 मई को हुई थी गिरफ्तारी
इस मामले में 30 मई 2022 को सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया गया था। इनके अलावा नवीन जैन और सिद्धार्थ जैन (राम प्रकाश ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक), जी एस मथारू (प्रूडेंस ग्रुप ऑफ स्कूल्स चलाने वाले लाला शेर सिंह जीवन विज्ञान ट्रस्ट के अध्यक्ष) हैं। ईडी ने बताया कि योगेश कुमार जैन (राम प्रकाश ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक) अंकुश जैन के ससुर और लाला शेर सिंह जीवन विज्ञान ट्रस्ट भी सत्येंद्र जैन की सहायता के लिए ईडी के रडार पर हैं।
दिल्ली-एनसीआर में छापामारी
ईडी ने 6 जून को दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न स्थानों पर छापामारी के दौरान सत्येंद्र जैन के सहयोगियों से 2.85 करोड़ नकद और 1.80 किलोग्राम वजन के 133 सोने के सिक्के जब्त किए थे। इस दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड भी जब्त किए थे। ईडी ने तब कहा कि कुल चल संपत्ति 'एक अस्पष्ट स्रोत' से जब्त की गई थी। मामले में ईडी की जांच से पता चला है कि लाला शेर सिंह जीवन विज्ञान ट्रस्ट के एक साथी ने संपत्ति को अलग करने और प्रक्रिया को विफल करने के लिए सत्येंद्र जैन के स्वामित्व वाली कंपनी से सहयोगियों के परिवार के सदस्यों को जमीन के हस्तांतरण के लिए आवास प्रविष्टियां प्रदान की थीं।
इनके खिलाफ चार्जशीट दायर
ईडी ने 24 अगस्त 2017 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर रोकथाम की धारा 13(2) के साथ पठित 13(1) (ई) के तहत धन शोधन की जांच भी शुरू की थी। बाद में सत्येंद्र जैन, पूनम जैन, अजीत प्रसाद जैन, सुनील कुमार जैन, वैभव जैन और अंकुश जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। सीबीआई ने 3 दिसंबर 2018 को सत्येंद्र कुमार जैन, पूनम जैन, अजीत प्रसाद जैन, सुनील कुमार जैन, वैभव जैन और अंकुश जैन के खिलाफ चार्जशीट दायर की।
पीडब्ल्यूडी की याचिका पर वन और वन्यजीव विभाग से जवाब मांगा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी के वसंत विहार इलाके में पेड़ों के चारों ओर से कंक्रीट का ढांचा नहीं हटाने के मामले में 38.7 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के उप वन संरक्षक के आदेश को चुनौती देने वाली लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की याचिका पर वन और वन्यजीव विभाग से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने पीडब्ल्यूडी की याचिका पर वन और वन्यजीव विभाग के पश्चिम वन संभाग के उप संरक्षक-वृक्ष अधिकारी को अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई 24 नवंबर तय की है। साथ ही, अदालत ने पीडब्ल्यूडी के वकील को कुछ अतिरिक्त दस्तावेज रिकॉर्ड में पेश करने की मंजूरी प्रदान की है।
पीडब्ल्यूडी ने याचिका में उप वन संरक्षक (डीसीएफ) के 4 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उस पर 38.7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। याची ने कहा कि फरवरी के आदेश को रद्द किया जाए, क्योंकि वर्तमान मामले में गलत और मनमाने ढंग से तथ्यों को नजरअंदाज कर जुर्माना लगाया गया है। पीडब्ल्यूडी ने कहा कि अनुपालन रिपोर्ट दाखिल न करने के लिए जुर्माना लगाया गया है। इस तथ्य के बावजूद कि विभिन्न अनुपालन रिपोर्ट उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई थी।
डीसीएफ के आदेश के अनुसार, वसंत विहार के पीडब्ल्यूडी क्षेत्र में 387 पेड़ थे, जो अभी भी कंक्रीट की बाड़ों से घिरे हुए थे और इसने 10 हजार प्रति पेड़ के हिसाब से 387 पेड़ों के लिए कुल 38.7 लाख का जुर्माना लगाया था। डीसीएफ के 2015 के सार्वजनिक नोटिस के अनुसार दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत साइन बोर्ड या साइनेज, बिजली के तार और हाईटेंशन केबल लगाकर पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले सभी व्यक्तियों पर 10 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा।
सब-इंस्पेक्टर को न्यायालय से नहीं मिली राहत
उच्च न्यायालय ने शादी का झांसा देकर कथित दुष्कर्म के मामले में दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति आशा मेनन ने प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि शारीरिक संबंध जारी रहने के दावे को नकारा नहीं जा सकता। आरोपी कानून का जानकार है और उससे इस प्रकार की अपेक्षा नहीं की जा सकती।
शकरपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार आरोपी पीड़िता को कथित तौर पर जनवरी 2021 में शिमला और कांगड़ा ले गया था। ज्वाला देवी मंदिर में आरोपी ने पीड़िता के माथे पर तिलक किया और गले में धागा बांधा। इसके बाद वे कांगड़ा के होटल में रुके और शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह उसकी सहमति और विश्वास पर था, क्योंकि आरोपी ने उसे आश्वासन दिया था कि वह अपने माता-पिता से बात करेगा और उन्हें उनकी शादी के लिए राजी करेगा।
इसके बाद दोनों एक-दूसरे के साथ समय बिताते रहे। पीड़िता ने तर्क रखा कि प्राथमिकी 9 नवंबर 2021 को स्पष्ट रूप से बिना देरी के दर्ज की गई थी। अदालत ने कहा, शिकायतकर्ता पहली बार अप्रैल 2020 में याचिकाकर्ता से मिली थी। जब वह शकरपुर थाने में शिकायत करने गई थी।
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