दूसरे शहरों से व्हिस्की खरीदने को मजबूर हैं लोग, शराब का संकट

Update: 2022-08-08 15:18 GMT

न्यूज़क्रेडिट:आजतक

दिल्ली सरकार की नई नीति (New Liquor Policy) को दो महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. हालांकि इसके बाद भी राजधानी (Whisky Crisis in Delhi) में शराब का संकट जारी है. इतना ही नहीं, लगभग 50 प्रतिशत शराब की दुकानें बंद हैं. वहीं अब शराब की दुकानों पर वन प्लस वन वाली स्कीम (One Plus One Scheme) भी देखने को नहीं मिल रही है, जबकि शराब की कई ब्रांड स्टॉक में ही नहीं हैं. दरअसल, निजी लाइसेंस धारकों के दुकान नहीं खोलने से समस्या पैदा हुई है, जो दिल्ली में कुल शराब की दुकानों का लगभग 50 प्रतिशत हैं. आशंकाओं का हवाला देते हुए उन्होंने अपनी दुकानें फिर से नहीं खोली हैं. सिर्फ बड़े प्लेयर्स ही शराब बेच रहे हैं.

मयूर विहार एक्सटेंशन स्थित स्टार सिटी मॉल में शराब की दुकान के मालिक इंदरप्रीत सिंह ने कहा, "नई शराब नीति की समाप्ति के बाद सभी निजी लाइसेंस मालिकों ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं और केवल जोनल लाइसेंस वाले बड़े प्लेयर ही कारोबार कर रहे हैं. योजना के विस्तार के दौरान व्यवसाय जारी रखना हमारे लिए लाभदायक नहीं था. नई शराब नीति व्यक्तिगत शराब की दुकानों के मालिकों के लिए अच्छी नहीं है."

वहीं दिल्ली में शराब नहीं मिलने के चलते लोग पड़ोसी शहरों नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम से शराब खरीदने को मजबूर हैं. दक्षिणी दिल्ली निवासी सौरभ सिंह का कहना है कि उन्हें छतरपुर इलाके से शराब खरीदनी पड़ी है.

सौरभ सिंह ने कहा, "शराब की दुकानों पर लाइनें लगी हैं क्योंकि कई दुकानें बंद हैं. महंगी विदेशी शराब मिलना भी मुश्किल है. पुरानी दरें अभी भी हैं, लेकिन शराब की अच्छी ब्रांड की कमी है. सामान्य व्हिस्की ही मिल रही हैं. सस्ती ब्रांड तो मिल रहे हैं लेकिन महंगे ब्रांड गायब हैं."

वहीं सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में जल्द ही शराब नीति के साथ ही पुरानी दरें लागू की जा सकती हैं.

केजरीवाल सरकार पर लगे गंभी आरोप

उपराज्यपाल विनय कुमार को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, एलजी की मंजूरी के बिना COVID महामारी के कारण लाइसेंस पर 144.36 करोड़ रुपये की कथित देने के साथ ही नीति में बदलाव किया गया था. रिपोर्ट में आईएमएफएल की दरों में संशोधन और बीयर पर प्रति केस 50 रुपये के आयात पास शुल्क को हटाकर लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ का आरोप लगाया गया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन फैसलों और अनियमितताओं से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है.

शराब बिक्री में बड़ा इजाफा

बता दें कि दिल्ली सरकार हर साल की तरह इस वर्ष भी 4,500 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व के लक्ष्य के साथ नई शराब नीति लाई थी. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार ने 2022-23 की पहली तिमाही में 1,484 रुपये जुटाने का दावा किया है. लेकिन सूत्रों ने दावों का खंडन करते हुए कहा कि कुल राजस्व में से 980 करोड़ रुपये रिफंडबेल सिक्योरिटी डिपोजिट के रूप में जमा हैं. उधर, दिल्ली सरकार राजस्व में कमी के पीछे कोविड लॉकडाउन का हवाला दे रही है, लेकिन रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में वाइन की बिक्री में 87 प्रतिशत, व्हिस्की में 59.5 प्रतिशत और बीयर की बिक्री में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.


Tags:    

Similar News

-->