एनपीसीएल के प्रबंध निदेशक को अपने पद से हटाया गया

Update: 2022-07-04 05:25 GMT

एनसीआर नॉएडा न्यूज़: दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में एनपीसीएल कंपनी ने अपने प्रबंध निदेशक आरसी अग्रवाल को पद से हटा दिया है। आरसी अग्रवाल के पास प्रबंध निदेशक के अलावा एनपीसीएल के सीईओ की भी जिम्मेदारी थी। अब उनके स्थान पर प्रेम रंजन कुमार को जिम्मेदारी सौंपी है। पिछले दिनों आरसी अग्रवाल की वेतन पर सवाल खड़े हुए थे। जिसके बाद एनपीसीएल ने यह फैसला लिया। अब प्रेम रंजन कुमार एनपीसीएल के नए सीईओ बन रहे हैं।

दरअसल, करीब 10 दिनों पहले एनपीसीएल द्वारा उपभोक्ताओं से बिल के रूप में वसूले जा रहे पैसों को लेकर अहम चर्चा हुई थी। इस बैठक के दौरान एनपीसीएल के सीईओ आरसी अग्रवाल के वेतन पर सवाल उठे थे। उत्तर प्रदेश उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बैठक के दौरान कहा था कि कंपनी के प्रबंध निदेशक और सीईओ प्रतिवर्ष 6.50 करोड़ रुपए का भारी वेतन लेते हैं। उन्होंने कहा था कि उनके पास महंगी-महंगी गाडिय़ां हैं। आरोप लगे थे कि उपभोक्ताओं से गलत तरीके से पैसे लेने के बाद सीईओ और प्रबंध निदेशक अपने शौक पूरे कर रहे हैं। इस मुद्दे ने काफी तेजी के साथ तूल पकड़ लिया था। इसके बाद एनपीसीएल को यह कार्रवाई करनी पड़ी है।

2004 में सीईओ बने थे आरसी अग्रवाल, उपभोक्ताओं से कमाए अरबों रुपए: आपको बता दें कि आरसी अग्रवाल ने एनपीसीएल कंपनी में 2004 में सीईओ के रूप में पद संभाला था। उसके बाद उनको प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी भी मिली। वह करीब 18 सालों तक एनपीसीएल के सीईओ के रूप में कार्यरत रहे। सीईओ बनने के बाद उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे। एनपीसीएल के उपभोक्ताओं ने उनके ऊपर मानसिक शोषण का आरोप लगाया है। करीब 10 दिनों पहले बैठक में अवधेश वर्मा ने एनपीसीएल से सवाल पूछते हुए कहा था कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में एबीआर 8.34 रुपए और लागत 7.39 रुपए थी। इस तरीके से कंपनी ने लागत से 2.05 रुपए यूनिट तक ज्यादा पैसा कमाया है। उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर सीबीआई जांच की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि एनपीसीएल ने इस तरीके से ग्रेटर नोएडा के उपभोक्ताओं से अरबों रुपए कमाए हैं।

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