इस फैसले से खुश नहीं , कानून मंत्री किरेन रिजिजू कहा अपने भाई को जज नियुक्त करते हैं

Update: 2022-10-18 08:09 GMT

 केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि देश के लोग कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने महसूस किया है कि देश में जजों को नियुक्त करने के लिए बने कॉलेजियम सिस्टम से जनता खुश नहीं है क्योंकि इससे न्याय मिलने में देरी होती है। मंत्री किरेन रिजिजू ने यह भी कहा कि देश की संविधान के मुताबिक जजों की नियुक्ति करना सरकार का काम है। आरएसएस द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका 'पांचजन्य' द्वारा सोमवार को अहमदाबाद में आयोजित 'साबरमती संवाद' में बोलते हुए ,किरेन रिजिजू ने कहा, मैंने देखा है कि जज आधे से ज्यादा वक्त जजों की नियुक्ती में लगा देते हैं, जिससे जनता को इंसाफ देने का, उनका प्राथमिक काम पर असर पड़ रहा है।

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "मैं जानता हूं कि देश के लोग जजों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम सिस्टम से बिल्कुल खुश नहीं हैं। अगर हम संविधान की से चलते हैं तो जजों की नियुक्ति सरकार का काम है।" किरेन रिजिजू ने कहा, ''दूसरी बात, भारत को छोड़कर दुनिया में कहीं भी यह प्रथा नहीं है कि जज अपने भाइयों को जज नियुक्त करते हैं। तीसरी बात, कानून मंत्री के रूप में, मैंने देखा है कि जजों का आधा समय और दिमाग यह तय करने में व्यस्त है कि अगला जज कौन होगा। उनका प्राथमिक काम न्याय देना है, इस कॉलेजियम सिस्टम की वजह से उसपर असर पड़ रहा है।''

जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर एक सवाल के जवाब में किरेन रिजिजू ने कहा, "1993 तक, भारत में हर न्यायाधीश को भारत के चीफ जस्टिस के परामर्श से कानून मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया जाता था। उस समय हमारे पास बहुत प्रतिष्ठित जज थे। देश के संविधान इसके बारे में स्पष्ट है। जो ये कहता है कि भारत के राष्ट्रपति न्यायाधीशों की नियुक्ति करेंगे, इसका मतलब है कि कानून मंत्रालय भारत के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) के परामर्श से जजों की नियुक्ति करेगा।"

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