नोएडा अथॉरिटी ने यमुना नदी के किनारे 1000 अवैध फार्म हाउस को तोड़ने की तैयारी की शुरू

Update: 2022-06-08 08:16 GMT

दिल्ली एनसीआर न्यूज़: नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के दायरे वाले यमुना नदी के डूब क्षेत्र में एक हजार अवैध फार्म हाउस बने हुए हैं। यह खुलासा मंगलवार को आई नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की सर्वे रिपोर्ट में हुआ है। इनमें से अधिकांश फार्म हाउस का निर्माण बड़े स्तर पर वर्ष 2015 से 2021 के बीच किया गया है। अब इनको तोड़ने के लिए बड़े स्तर पर अभियान की शुरूआत इसी सप्ताह से होगी। नोएडा अथॉरिटी इस काम के लिए एक टास्क फोर्स बनाएगी।

इन फार्म हाउस में अवैध निर्माण और गतिविधियां चल रही हैं: नोएडा प्राधिकरण के सर्वे में जानकारी सामने आई है कि यमुना नदी के किनारे करीब एक हजार अवैध फार्म हाउस हैं। इनमें से करीब 700 फार्म हाउस पूरी तरह बन चुके हैं। बाकी 300 फार्म हाउस में काम चल रहा है या अधूरे बने पड़े हैं। अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि डूब क्षेत्र में कोई भी पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता है। सर्वे में सामने आए सभी फार्म हाउस अवैध हैं। इनमें तय मानकों को दरकिनार करते हुए पक्के निर्माण किए गए हैं। इनका कमर्शियल दुरुपयोग किया जा रहा है। प्राधिकरण ने पिछले सप्ताह बुधवार को कार्रवाई करते हुए सेक्टर-150 व सेक्टर-151 में तिलवाड़ा, मोमनाथल और गुलावली गांवों के नजदीक बने 62 फार्म हाउस तोड़े थे।

सीईओ रितु महेश्वरी ने व्यापक रूप से सर्वे करने का आदेश दिया: बीते बुधवार की कार्रवाई के बाद बाद नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी ने आदेश दिया कि पहले भूलेख व्यापक सर्वे कर ले। सर्वे का काम शुक्रवार से शुरू किया गया। अब सर्वे का काम पूरा हो गया है। भूलेख विभाग ने सर्वे रिपोर्ट सीईओ और एसीईओ सौंप दी है। इसके अलावा यह जानकारी सिंचाई विभाग को भी दी जाएगी।अधिकारियों ने बताया कि यमुना किनारे बसे करीब दर्जन भर गांवों के डूब क्षेत्र को इस सर्वे में शामिल किया गया है। जिन गांवों के खादर क्षेत्र को इस सर्वे किया गया है, उनमें तिलवाड़ा, मोमनाथल, गुलावली, रायपुर, रोहिल्लापुर, सुल्तानपुर, नंगली वाजितपुर, नंगला-नंगली, सुल्तानपुर व कुछ अन्य गांव शामिल हैं।

अब आगे की कार्रवाई को लेकर प्राधिकरण अफसरों में असमंजस: नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी प्रसून द्विवेदी ने बताया कि सर्वे में करीब एक हजार अवैध फार्म हाउस सामने आए हैं। इनको ध्वस्त करने की कार्रवाई जल्द शुरू होगी। दूसरी ओर प्राधिकरण सूत्रों की मानें तो सर्वे में सामने जो फार्म हाउस आए हैं, उनको कार्रवाई से पहले नोटिस देने में प्राधिकरण के अधिकारी हिचक रहे हैं। तर्क दे रहे हैं कि वह नोटिस के आधार पर स्टे लेकर आ जाएंगे। वहीं, सूत्रों की मानें तो यह तर्क देकर प्राधिकरण के अधिकारी अब आगे कार्रवाई करने से बचते नजर आ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि जिनके नाम फार्म हाउस में सामने आए हैं, प्राधिकरण के अधिकारी किसी न किसी तरह उन लोगों के दबाव में आ गए हैं।

शासन को रिपोर्ट भेजकर क्लीयरेंस मांगेगी नोएडा अथॉरिटी: नोएडा प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक सर्वे रिपोर्ट के साथ मुख्य कार्यपालक अधिकारी सिफारिशी चिट्ठी शासन को भेजेंगी। जिसमें इन फार्म हाउसों को तोड़ने की मंजूरी मांगी जाएगी। दरअसल, जिन लोगों के फार्म हाउस सामने आए हैं, उनमें नौकरशाह, पुलिस अधिकारी, नोएडा अथॉरिटी में तैनात रहे पुराने अफसर, नेता, उद्योगपति और न्यायाधिकरणों से ताल्लुक रखने वाले लोग भी शामिल हैं। लिहाजा, प्राधिकरण पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाकर इन फार्म हाउस पर कार्यवाही करना चाहता है। इन्हें तोड़ने के लिए प्राधिकरण में एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। प्राधिकरण का मानना है कि इन सारे फार्म हाउसों को तोड़ने में कम से कम एक सप्ताह का वक्त लगेगा। इसके लिए भारी सुरक्षा इंतजाम भी करने होंगे।

कानूनी विकल्प तलाश कर रहे हैं फार्म हाउसों के मालिक: दूसरी तरफ मिली जानकारी के मुताबिक फार्म हाउसों के मालिक तमाम तरह के कानूनी विकल्प तलाश कर रहे हैं। यह भी जानकारी मिली है कि कुछ फार्म हाउस मालिकों ने गौतमबुद्ध नगर सिविल कोर्ट से स्थगनादेश हासिल करने के लिए याचिकाएं दायर की हैं। दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी पिटीशन दायर करने की तैयारी की जा रही है, लेकिन इस वक्त ग्रीष्मकालीन अवकाश के चलते हाईकोर्ट बंद है।लिहाजा, वहां से कोई राहत मिलने की संभावना बेहद कम है।

फार्म हाउस मालिकों को कोई राहत नहीं: दूसरी ओर यमुना नदी के खादर क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे अवैध निर्माण के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कई रूलिंग आ चुकी हैं। ऐसे में किसी अदालत से फार्म हाउस मालिकों को कोई राहत मिले, यह संभावना कम ही है।

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