अहमदिया संप्रदाय के लोगों को 'काफिर' या गैर-मुस्लिम कहने का अधिकार नहीं": केंद्र सरकार

Update: 2023-07-22 12:47 GMT
नई दिल्ली | केंद्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी राज्य के वक्फ बोर्ड को मुसलमानों में अहमदिया संप्रदाय के लोगों को 'काफिर' या गैर-मुस्लिम कहने का अधिकार नहीं है। साथ ही उनकी मस्जिदों को गैर-वक्फ संपत्ति घोषित नहीं कर सकते हैं। देवबंदी मौलवियों के संगठन जमायतुल उलेमा द्वारा जारी फतवे के आधार पर आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव के खिलाफ अहमदिया मुसलमानों के विरोध प्रदर्शन के बाद शुक्रवार को केंद्र सरकार का बयान सामने आया है। इस प्रस्ताव में उन्हें गैर मुस्लिम करार दिया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा है कि आप राज्य सरकार के एक निकाय हैं। आपके पास ऐसे निर्देशों को जारी करने का कोई अधिखार नहीं है। मंत्रालय ने कहा है कि आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड का प्रस्ताव बड़े पैमाने पर अहमदिया समुदाय के खिलाफ घृणा को दिखाता है। वक्फ बोर्ड के पास अहमदिया सहित किसी भी समुदाय की धार्मिक पहचान निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है।
मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव को इस मामले में दखल देने और जल्द से जल्द एक रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा है। साथ ही अधिकारियों को आगाह किया है कि इस मामले का पूरे देश में प्रभाव पड़ सकता है। केंद्र सरकार ने यह भी बताया है कि वक्फ अधिनियम 1995 मुख्य रूप से भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन के लिए एक कानून है। राज्य वक्फ बोर्डों को ऐसी कोई घोषणा करने के लिए कोई शक्ति प्रदान नहीं करता है।
अहमदिया समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को केंद्रीय मंत्रालय पहुंचा था। उन्होंने कहा था, "कुछ राज्यों में वक्फ बोर्ड अहमदिया समुदाय का विरोध कर रहे हैं और अवैध प्रस्ताव पारित कर रहे हैं।" उन्होंने फरवरी में जारी आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के एक प्रस्ताव का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित कर पूरे अहमदिया समुदाय को 'गैर-मुस्लिम' घोषित कर दिया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
इस मामले में अंतरिम आदेश पारित करते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने अपने अध्यक्ष के हस्ताक्षर के साथ एक घोषणा की है, जिसमें कहा गया है कि जमीअतुल उलेमा के 'फतवे' के परिणामस्वरूप क्वाडियन समुदाय को 'काफिर' घोषित किया जाता है।
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