New Delhi: भाजपा ने दिल्ली की 30 सीटों में चलाया संपर्क अभियान

"दलित वोट बैंक पर नजर"

Update: 2025-01-13 08:14 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। भाजपा 10 साल से सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी से जीत छीनने की पुरजोर कोशिश कर रही है। अब पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव से पहले महीनों तक चलाए गए सतत और केंद्रित संपर्क अभियान के आधार पर वह दलित बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में पहले के मुकाबले बेहतरीन प्रदर्शन करेगी। 2015 और 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी 12 एससी (अनुसूचित जाति) आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में से एक भी जीतने में सफल नहीं रही थी। इससे पहले के चुनावों में भी, भाजपा कभी भी इनमें से दो-तीन सीटों से अधिक नहीं जीत पाई।

एससी मोर्चा ने महीनों किया काम: दिल्ली भाजपा नेताओं के अनुसार, दिल्ली में 30 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 12 एससी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। इसमें दलित समुदाय के मतदाता 17 से 45 प्रतिशत तक हैं। उन्होंने बताया कि 12 आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों के अलावा, राजेंद्र नगर, चांदनी चौक, आदर्श नगर, शाहदरा, तुगलकाबाद, बिजवासन सहित 18 अन्य सीटें हैं, जहां एससी समुदाय के 25 प्रतिशत तक वोट हैं। यहां भाजपा और उसके एससी मोर्चा ने पिछले कई महीनों में काम किया है। पिछले कुछ महीनों में पार्टी ने इन 30 निर्वाचन क्षेत्रों की झुग्गियों और अनाधिकृत कॉलोनियों में अनुसूचित जाति कार्यकर्ताओं के जरिए एक व्यापक संपर्क अभियान चलाया।

1,900 बूथों पर विशेष ध्यान: दिल्ली भाजपा एससी मोर्चा के अध्यक्ष मोहन लाल गिहारा ने कहा कि इन सभी 30 निर्वाचन क्षेत्रों में समुदाय के सदस्यों से संपर्क के लिए वरिष्ठ एससी कार्यकर्ताओं को 'विस्तारक' के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि 'विस्तारक' ने इन निर्वाचन क्षेत्रों में विभिन्न इलाकों और आवासीय क्षेत्रों में पर्सन टू पर्सन संपर्क करने के लिए हर मतदान केंद्र पर 10 दलित युवाओं को तैनात किया है। पार्टी ने 5,600 से अधिक ऐसे मतदान केंद्रों की पहचान की है, जिनमें से 1,900 से ज्यादा बूथों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

55 बड़े दलित नेताओं ने लोगों से की बात: पार्टी नेताओं ने बताया कि मतदाताओं से बातचीत करने और उन्हें मोदी सरकार द्वारा समुदाय के लिए किए कामों के बारे में बताने के लिए 18,000 से ज्यादा सक्रिय कार्यकर्ताओं को तैनात किया। इन कार्यकर्ताओं ने समुदाय को 10 साल के शासन में आप की 'विफलताओं' के बारे में बताया। दूसरे लेवल पर, पार्टी ने 55 बड़े दलित नेताओं को शामिल किया, जिनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में बैठकों का मैराथन दौर आयोजित किया गया

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