NCR Noida: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पूरे नोएडा शहर को मिलेगा फायदा
"DND को टोल फ्री करने का आदेश दिया"
एनसीआर नॉएडा: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पूरे नोएडा शहर को फायदा होगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह है कि नोएडा तथा दिल्ली को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग DND को हमेशा के लिए टोल फ्री घोषित कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश यह है कि DND पर टोल वसूलने का काम हमेशा के लिए बंद रहेगा। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने टोल वसूली को गलत मानते हुए DND को टोल फ्री करने का आदेश दिया था। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए नोएडा की सबसे बड़ी संस्था फोनरवा के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस फैसले को नोएडा के नागरिकों ने नोएडा शहर के लिए बड़ा दिन बताया है।
नोएडा शहर के नागरिकों की सबसे बड़ी संस्था फोनरवा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। फोनरवा के अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा ने इस फैसले पर कहा है कि आज नोएडा शहर की जनता के लिए बड़ा दिन है। 12 साल से लड़ी जा रही कानूनी लड़ाई को हम जीत गए हैं। आम आदमी के हित को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। यह जीत फोनरवा की जीत है। फैसले का फोनरवा स्वागत करता है। वर्ष 2012 से 2024 तक फोनरवा टीम द्वारा इस लड़ाई को हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपने पक्ष को मजबूती के साथ रखा गया तभी जीत संभव हो पाई है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में निजी कंपनी के डीएनडी फ्लाईवे पर टोल वसूलने से रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि निजी कंपनी एनटीबीसीएल को दिल्ली-नोएडा डीएनडी फ्लाईवे पर चलने वाले वाहनों सो टोल वसूलने का ठेका देना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण और गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने निजी फर्म को टोल वसूलने का ठेका देने के लिए नोएडा प्राधिकरण को भी फटकार लगाई और कहा कि इससे अनुचित लाभ हुआ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साल 2016 में डीएनडी फ्लाईवे पर टोल वसूलने पर रोक लगाई थी, जिससे डीएनडी से गुजरने वाले लाखों वाहन चालकों को बड़ी राहत मिली थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि ‘टोल वसूलना जारी रखने की कोई वजह नहीं है। हम टोल वसूलने के समझौते को अवैध मानते हैं। इसने निजी फर्म एनटीबीसीएल को टोल संग्रह सौंपने के लिए नोएडा प्राधिकरण की खिंचाई की, जिसके पास टोल वसूलने का कोई पूर्व अनुभव नहीं था।’
नोएडा तथा दिल्ली के बीच में पड़ने वाले DND पर टोल वसुली को लेकर वर्ष 2012 से अदालत में मामला चल रहा था। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से अंतिम फैसला आ गया है सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण ने एनटीबीसीएल को शुल्क एकत्र करने (टोल वसूलने) की शक्तियां सौंपकर अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल किया है और इससे आम जनता को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2016 में फैसला सुनाया था कि 9.2 किलोमीटर लंबे, आठ लेन वाले दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाईवे का उपयोग करने वालों से अब से कोई टोल नहीं लिया जाएगा। यह आदेश उच्च न्यायालय ने फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की जनहित याचिका पर दिया था। 2012 में दायर जनहित याचिका में ‘नोएडा टोल ब्रिज कंपनी द्वारा टोल वसूलने को चुनौती दी गई थी। 100 पन्नों के फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘जो शुल्क लगाया जा रहा है, वह यूपी औद्योगिक विकास अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है’।
जाने क्या है नोएडा तथा दिल्ली के बीच में DND का इतिहास: डीएनडी एक फ्लाइवे है जो दिल्ली से नोएडा को जोड़ता है। 2001 में इसपर सबसे पहले वाहनों की आवाजाही शुरू हुई थी। इस फ्लाइवे से गुजरने वाले वाहनों से शुरू से ही टोल वसूला जा रहा था। 2012 में पहली बार मांग उठी की जिस कंपनी के पास टोल वसूलने का अधिकार है वो लागत से ज्यादा टोल वसूल चुका है। ऐसे में अब टोल वसूलना बंद करना चाहिए.मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट गया। जहां चाल साल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसपर फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि चुकि कंपनी अपनी लागत तक पैसे वसूल चुकी है लिहाजा अब इस फ्लाइवे को टोल फ्री कर दिया जाए। इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.इलाहाबाद हाई कोर्ट सुनवाई के बाद कहा था कि इस फ्लाइवे को बनाने में कंपनी को जितनी लागत आई थी। अब वह उसके कहीं ज्यादा पैसे की वसूली कर चुका है। ऐसे में अब यहां से टोल प्लाजा को हटाना जरूरी है। इस आदेश के बाद से ही डीएनडी पर किसी तरह का टोल वसूलना बंद कर दिया गया था।
याचिका 2012 में दायर की गई थी : आपको बता दें कि डीएनडी पर वर्ष 2001 में वाहनों की आवाजाही शुरू हुई थी। इसको बनाने के लिए नोएडा प्राधिकरण और नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के बीच समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत कंपनी को मिलने वाले 20 फीसदी मुनाफे समेत कई ऐसे बिंदू थे। जिससे संबंधित कंपनी को सबसे ज्यादा फायदा हो रहा था। डीएनडी को टोल फ्री करने के लिए सबसे पहले 16 नवंबर 2012 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में तुरंत प्रभाव से टोल वसूलने पर रोक लगाने की भी बात की गई थी। हाई कोर्ट में सुनवाई की गति धीमी होने के कारण याचिकाकर्ता ने बाद में 26 अप्रैल 2016 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट डीएनडी फ्लाइवे को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को ही बरकरार रखने का फैसला किया है। शुक्रवार को इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विशेष टिप्पणी करते हुए कहा है कि संबंधित कंपनी ने डीएनडी फ्लाइवे के निर्माण पर हुए रिटर्न, ब्याज और लागत वसूल कर ली है। ऐसे में अब वे और पैसे वूसलने के हकदार नहीं हैं। डीएनडी फ्लाई ओवर टोल फ्री रहेगा, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रखा बरकरार इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2016 में दिए अपने फैसले में कहा था कि अब डीएनडी पर किसी से भी टोल नहीं वसूला जाना चाहिए। कोर्ट ने उस दौरान सरकार को भी ये सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी थी कि आगे से यहां से कि किसी वाहन को टोल ना देना पड़े