1 सुनवाई के10 लाख लेंगे मुकुल रोहतगी, अब आर्यन खान को बचाने की जिम्मेदारी मुकुल रोहतगी ने ली
बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एनसीबी की कस्टडी से बचाने के लिए अब तक कई हाई-प्रोफाइल वकीलों को केस में लगाया जा चुका है।
जनता से रिस्ता वेबडेसक | बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को एनसीबी की कस्टडी से बचाने के लिए अब तक कई हाई-प्रोफाइल वकीलों को केस में लगाया जा चुका है। पहला नाम सलमान खान को काले हिरण के शिकार मामले से बचाने वाले सतीश मानशिंदे का है, जबकि दूसरा नाम अमित देसाई का है, जिन्होंने 2002 के हिट एंड रन केस में सलमान की ही पैरवी की थी। हालांकि, इन दोनों की लाख कोशिशों के बावजूद आर्यन खान को जमानत नहीं मिल सकी। इस बीच अब आर्यन को बचाने के लिए वकीलों की टीम में एक नया चेहरा जुड़ा है। नाम है मुकुल रोहतगी। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील, जिनके लिए लोकप्रिय है कि वे एक सुनवाई के लिए अपने क्लाइंट से 10 से 20 लाख रुपये तक की फीस ले लेते हैं।
कौन हैं मुकुल रोहतगी?
मुकुल रोहतगी 2014 से 2017 तक भारत के 14वें अटॉर्नी जनरल की भूमिका में रह चुके हैं। 66 वर्षीय रोहतगी इससे पहले 2014 से 2017 तक एडिशन सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) भी रह चुके हैं। रोहतगी के नाम कई हाई-प्रोफाइल केस से जुड़े रहे हैं। इनमें एक सबसे बड़ा केस है 2002 के गुजरात दंगे का, जब वे अदालत के सामने गुजरात सरकार के वकील के तौर पर पेश हुए थे। एएसजी रहते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के केस में भी वकील के तौर पर बहस में शामिल रहे थे।
मुकुल रोहतगी की पहचान सबसे ज्यादा फीस लेने वाले वकील के तौर पर तब हुई थी, जब महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें सीबीआई स्पेशल जज लोया की मौत के मामले की जांच में स्पेशल प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस केस के लिए रोहतगी को 1.20 करोड़ रुपये दिए गए थे। अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की मौत के केस में जांच की मांग को खारिज कर दिया था। तब मुकुल रोहतगी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था।
अरुण जेटली के दोस्त रहे हैं रोहतगी?
मुकुल रोहतगी भाजपा के पूर्व नेता और मोदी सरकार में कानून मंत्री अरुण जेटली के दोस्त रहे हैं। रोहतगी ने कई बार जेटली के साथ अपनी दोस्ती और वकीलों के तौर पर साथ में लोधी गार्डन के चक्कर काटने की घटनाओं का भी जिक्र किया है। अगस्त 2019 में जेटली के निधन के बाद रोहतगी ने बताया था कि हाईकोर्ट में उनका और अरुण जेटली का चैंबर अगल-बगल था। उन्होंने बताया था कि यह चैंबर अभी भी उनके पास है। रोहतगी ने कहा था कि वे काफी बार जेटली के साथ तीखी बहस में शामिल रहे। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ कई बार कड़े शब्दों का भी इस्तेमाल कर देते थे, लेकिन अंत में दोनों दोस्त की तरह ही साथ बैठते थे।
पिता के पदचिह्नों पर आगे बढ़े रोहतगी
मुकुल रोहतगी के पिता अवध बिहारी रोहतगी दिल्ली हाईकोर्ट में जज थे। बाद में उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए मुंबई के गवर्मेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री ली और कॉलेज के ठीक बाद ही प्रैक्टिस शुरू कर दी। पहले उन्होंने योगेश कुमार सभरवाल (जो कि बाद में दिल्ली हाईकोर्ट के 36वें चीफ जस्टिस बने थे) के अंडर में काम किया। बाद में खुद अपने प्रैक्टिस शुरू कर दी। 1993 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें वरिष्ठ वकील का दर्जा दिया और 1999 आते-आते उन्हें भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बना दिया गया था। उनकी पत्नी वसुधा रोहतगी खुद एडवोकेट हैं। दोनों का एक बेटा भी है।