कोरोना से कम संक्रामक है मंकीपॉक्स, इन तरीकों से करें अपना बचाव

दुनियाभर में चिंता का सबब बना मंकीपॉक्स देश में भी पैर पसार रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोरोना से कम संक्रामक है, लिहाजा घबराने की जरूरत नहीं है।

Update: 2022-07-25 01:37 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में चिंता का सबब बना मंकीपॉक्स देश में भी पैर पसार रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोरोना से कम संक्रामक है, लिहाजा घबराने की जरूरत नहीं है। सामान्य इलाज से ही इसके मरीज कुछ दिनों में ठीक हो जाते है। कुछ एहतियात बरतकर इसकी चपेट में आने से बचा जा सकता है। मंकीपॉक्स के लक्षण आम तौर पर संक्रमित होने के छह से 13 दिनों बाद तक दिखाई दे सकते हैं।

महामारी विशेषज्ञ और संक्रामक रोग चिकित्सक डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा, 'मंकीपॉक्स के प्रकोप से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है। रोगियों व उनके संपर्क में आए लोगों को पृथक करके और चेचक के मंजूरी प्राप्त टीकों के इस्तेमाल से इसपर लगाम लगाई जा सकती है। फिलहाल आम लोगों के टीकाकरण की सिफारिश नहीं की जानी चाहिए।'
इन तरीकों से करें खुद का बचाव
- मास्क का इस्तेमाल करें और जरूरी सामाजिक दूरी बनाएं
- विदेश यात्रा से आने पर अपनी जांच जरूर कराएं
- संक्रमित के संपर्क में आने के बाद साबुन और हैंड सैनेटाइजर से हाथ अच्छे से धोएं
- मरीजों की देखभाल करते समय पीपीई का प्रयोग करें
- प्रत्यक्ष रूप से किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से
- संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, तौलिया इस्तेमाल करने से
- संक्रमित जानवर के काटने से, उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ को छूने से
- संक्रमित जानवरों के मांस व अन्य उत्पादों के सेवन से
- समलैंगिक, उभयलिंगी पुरुषों के साथ असुरक्षित यौन संबंध
- संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकनें या दानों को छूने से
इन अंगों पर पड़ता है विशेष प्रभाव
- त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश
- त्वचा पर चकत्ते या छाले पड़ सकते हैं
- प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंच सकता है
- मंकीपॉक्स का आंख की कॉर्निया पर भी असर देखा गया है


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