दिल्ली के कुछ इलाकों में तापमान 49.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है, जो राष्ट्रीय राजधानी के लिए एक नया रिकॉर्ड है. एक नए अध्ययन में कहा गया है कि बड़े शहरों के तपने का कारण सिर्फ मौसम नहीं बल्कि बढ़ता शहरीकरण भी है.मौसम विभाग के मुताबिक मंगलवार को उत्तरी दिल्ली के इलाकों नरेला और मुंगेशपुर में तापमान 49.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इतना अधिक तापमान इससे पहले दिल्ली में कभी दर्ज नहीं किया गया. इससे पहले 2022 में मुंगेशपुर में ही 49.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था. इस समय उत्तरी, पश्चिमी, पूर्वी और मध्य भारत के कई इलाके गर्मी की एक भीषण लहर की चपेट में हैं. मंगलवार को देश में सबसे ज्यादा गर्मी राजस्थान और हरियाणा में दर्ज की गई. राजस्थान के चूरू में पारा 50.5 तक और हरियाणा के सिरसा में 50.3 तक पहुंच गया. मौसम विभाग का कहना है कि तापमान अपेक्षित स्तर से नौ डिग्री ज्यादा है. विभाग ने बुधवार को भी गर्मी की लहर के बरकरार रहने का पूर्वानुमान दिया है. मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि राजस्थान में गर्मी की वजह से कई लोगों की मौत हो चुकी है. रात का तापमान भी बढ़ा इस बीच निजी संस्थान सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने गर्मी पर एक नया अध्ययन किया है. अध्ययन में कहा गया है कि किसी भी शहर में गर्मी की लहर का कारण सिर्फ बढ़ता तापमान नहीं है, बल्कि हवा के तापमान, जमीन की सतह का तापमान और तुलनात्मक ह्यूमिडिटी का मिश्रण है. अगर कहीं पर हवा का तापमान गिर भी जाए तो बाकी दोनों कारण मिल कर ऐसे हालात नहीं बनने देते जिनमें थोड़ी राहत महसूस हो. अध्ययन के मुताबिक देश के लगभग सभी बड़े शहरों में बीते 10 सालों में तुलनात्मक ह्यूमिडिटी बढ़ी है.
इसके अलावा एक और चिंताजनक बात यह है कि रात का तापमान भी लगातार बढ़ा हुआ रह रहा है. अध्ययन के मुताबिक 2001 से 2010 तक गर्मियों में जमीन का तापमान रात को 6.2 से 13.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता था, लेकिन 2014 से 23 के बीच रात के समय तापमान 6.2 से लेकर सिर्फ 11.5 डिग्री तक ही गिरा. दिल्ली में अब रातें नौ प्रतिशत, हैदराबाद में 13 प्रतिशत, बेंगलुरु में 15, चेन्नई में पांच और मुंबई में 24 प्रतिशत कम ठंडी रहने लगी हैं. भट्टी बनते शहर साथ ही अध्ययन में बढ़ते शहरीकरण के दुष्प्रभावों के बारे में भी बताया गया है. अध्ययन के मुताबिक निर्माण में बढ़ोतरी और शहरी हीट स्ट्रेस के बीच सीधा संबंध है. बीते दो दशकों में सभी बड़े शहरों में कंक्रीट का इस्तेमाल बढ़ा है और पेड़ कटे हैं 2023 में कोलकाता में ऐसी जमीन का प्रतिशत सबसे ज्यादा था, जिसमें कंक्रीट के ढांचे हों. ग्रीन कवर सभी शहरों के मुकाबले सबसे ज्यादा कोलकाता में कम हुआ है. दिल्ली में तुलनात्मक रूप से कंक्रीट कवर सबसे कम और ग्रीन कवर सबसे ज्यादा है. मुंबई और चेन्नई में भी ग्रीन कवर गिरा है. सीएसई का यह भी कहना है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रुक भी गई तो भी चरम गर्मी की तीव्रता और बारंबारता और बढ़ेगी. साथ ही गर्मी की लहर वाले दिनों की संख्या भी बढ़ेगी. इस स्थिति से निपटने के लिए अलग अलग शहरों के हिसाब से गर्मी प्रबंधन योजनाओं की जरूरत है