कई बच्चे घर पर बैठने को मजबूर, निजी स्कूलों की मनमानी के आगे अभिभावक बेबस
निजी स्कूलों में आर्थिक पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के तहत इस वर्ष दाखिला लेने वाले स्कूली छात्र किताब-वर्दी के लिए भटक रहे हैं। निजी स्कूली की मनमानी के आगे अभिभावक बेबस हैं। कहीं बच्चा किताब-वर्दी न मिल पाने की वजह से घर बैठा है तो कोई अभिभावक अपने बच्चे को घर के कपड़ों में स्कूल भेजने के लिए मजबूर है।
गांधी नगर इलाके में रहने वाले जरीफ अहमद ने बताया कि उन्होंने इस शैक्षणिक सत्र में अपने बच्चे का दाखिला पहली कक्षा में करवाया था। दाखिले में कोई परेशानी नहीं हुई थी, लेकिन दाखिला मिलने के बाद से बच्चा अभी तक स्कूल नहीं गया है। इसका मुख्य कारण बच्चे के पास किताब और वर्दी का न होना है। आर्थिक हालत इतनी ठीक नहीं है कि बच्चे के लिए किताब और वर्दी खरीद सकूं।
इसी प्रकार वजीराबाद में रहने वाली मीनू की बेटी घर के कपड़ों में स्कूल जा रही है। मीनू ने बताया कि स्कूल ने किताबें तो निःशुल्क दे दी हैं, लेकिन वर्दी के लिए दो हजार रुपये की मांग की है। बेटी अभी पहली कक्षा में पढ़ती है। पिछले वर्ष ईडब्ल्यूएस के तहत केजी कक्षा में दाखिला मिला था। उस वर्ष भी किताबें अपने खुद के रुपये से खरीदी थी। स्कूल ने कहा था कि बाद में भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन अभी तक किताबों का बकाया भी नहीं मिला है। ऑनलाइन कक्षा होने की वजह से पिछले वर्ष वर्दी की जरूरत नहीं पड़ी थी।
स्कूलों पर नहीं होती है कोई कार्रवाई
ईडब्ल्यूएस सीटों पर दाखिले के लिए अभिभावकों का मार्गदर्शन करने वाले मिशन तालीम के संस्थापक अध्यक्ष एकरामूल हक ने बताया कि अभिभावकों की ओर से दाखिला मिलने के बाद किताबें-वर्दी न मिलने की शिकायतें मिल रही हैं। निजी स्कूलों की किताब-वर्दी बहुत महंगी होती हैं, जिसे आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक खरीद नहीं सकते। संबंधित एजेंसियों के संज्ञान में भी मामला ला चुके हैं, पर कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही। किताब-वर्दी के वितरण को लेकर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए।
निदेशालय ने दी शिकायत दर्ज कराने की सलाह
शिक्षा निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ईडब्ल्यूएस दाखिला न देने वाले तीन स्कूलों की मान्यता को वापस ले लिया गया है। बच्चे बहुत परेशान थे, जिसे लेकर यह सख्त कार्रवाई की गई है। इसमें पीतमपुरा, राजेंद्र नगर और रोहिणी इलाके के स्कूल शामिल हैं। अगर स्कूल किताब-वर्दी नहीं दे रहा है तो संबंधित क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। किताब-वर्दी निःशुल्क देने को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं। ऐसे स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा रहा है। साथ ही उचित जवाब न मिलने पर मान्यता रद्द की जाएगी।