एनसीआर नॉएडा न्यूज़: पिछले दो दशकों के दौरान ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) लोगों को बडे-बडे प्रॉजेक्ट का सब्जबाग दिखा कर लुभाती रही, लेकिन अथॉरिटी में अफसर या प्रदेश में सरकार बदलते ही प्रोजेक्ट डंप होते गए। ऐसा ही एक प्रॉजेक्ट ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने समाजवादी पार्टी सरकार में घोषित किया था। अथॉरिटी हेलीपोर्ट प्रॉजेक्ट लेकर आई थी। ग्रेटर नोएडा शहर में हेलीपोर्ट बनाने के लिए गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय (Gautam Buddh University) के नजदीक सेक्टर फाई-चाई में ग्रीन बेल्ट की जमीन नाले के पास चिन्हित की गई थी। अब एक दशक बीतने के बावजूद हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट फाइलों में बंद पड़ा है। बड़ी बात यह है कि परियोजना को धरातल पर उतारने के नाम पर अथॉरिटी ने करोड़ों रुपए बहा दिए।
डीपीआर बनवाने पर 50 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए: हेलीपोर्ट निर्माण के लिए अथॉरिटी की बोर्ड बैठक में 50 लाख रुपये का बजट पहली बार पास किया गया था। इसके बाद हेलीपोर्ट के निर्माण पर खर्च होने वाली रकम अलग से रखी गई थी। हेलीपोर्ट की डीपीआर बनवाने की जिम्मेदारी है क्या जेंसी को सौंपी गई। एजेंसी ने अध्ययन किया और रिपोर्ट बना कर दी। अथॉरिटी ने डीपीआर बनवाने पर लाखों रुपये खर्च कर डाले। ग्रेटर नोएडा में यह हेलीपोर्ट यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे बनया जाना था। यहां से मरीजों के लिए एयर एंबुलेस के अलावा माता वैष्णों देवी, चार धाम की यात्रा, जयपुर, आगरा और मथुरा-वदावन समेत कई प्रर्यटन स्थलों के लिए हेलीकाप्टर उड़ाने का प्लान बनाया गया था।
हेलीपोर्ट देखने के लिए अफसरों ने टूर कर डाले: हेलीपोर्ट बनाने की बात सामने आई तो सेक्टर चाई-फाई में जमीनों के रेट रातोंरात आसमान पर पहुंच गए। रेट दो गुने हो गए थे। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने हेलीपोर्ट बनाने के नाम पर कई शहरों के टूर किए। जहां-जहां हेलीपोर्ट बने हुए हैं, वहां का दौरा किया। दौरे पर लाखों रुपये अथॉरिटी के खर्च कर डाले, लेकिन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की हेलीपोर्ट परियोजना अधर में ही लटक गई। अब यह प्रोजेक्ट किस हाल में है, प्राधिकरण के किसी अफसर को मालूम नहीं है।