कोविड के दौरान पीएम राहत कोष में JITO सदस्यों ने दान किए 500 करोड़ रुपये
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जैन इंटरनेशनल ट्रेड आर्गानाइजेशन द्वारा आयोजित जीटो कनेक्ट-2022 (इसे 'जीतो' भी कहा जाता है। जीतो यानी विजय) का उद्घाटन किया था। शुक्रवार से शुरू हुआ जीटो का यह तीन दिवसीय आयोजन समूचे जैन समुदाय को एक मंच पर लाने के साथ ही समाज के आर्थिक उन्नयन का सामूहिक प्रयास भी है। इसके अलावा जीटो ने सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही है। क्या है जीटो? कितने देशों में फैला हुआ है? क्या उद्देश्य है और आने वाले समय में यह संगठन किस अवधारणा के साथ काम करेगा? नई दिल्ली से रुमनी घोष की रिपोर्ट:
यह है जीटो
जैन इंटरनेशनल ट्रेड आर्गेनाइजेशन (जीटो) एक वैश्विक संगठन है, जो सामाजिक-आर्थिक उन्नयन, मूल्य आधारित शिक्षा, सामुदायिक कल्याण, जैन दर्शन के अनुसार करुणा का अभ्यास, वैश्विक मित्रता का प्रसार व आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में काम करता है।
2007 में शुरू हुआ संगठन
श्वेतांबर, दिगंबर, तेरापंथी सहित कई वर्गों में विभक्त जैन समाज को एक साथ लाने की अवधारणा के साथ इस संगठन की शुरुआत की गई थी। वर्ष 2004-05 से इस पर विचार शुरू हुआ। वर्ष 2007 में इसकी विधिवत शुरुआत हुई। उसके बाद से ही हर साल जीटो कनेक्ट का आयोजन होता है। कोविड के दौरान दो साल यह आयोजन नहीं हो पाया। इस साल फिर इसकी शुरुआत हुई है।
900 करोड़ रुपये का बैलेंसशीट
जीटो पदाधिकारियों का दावा है कि यह जैन समुदाय का दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ (गैर सरकारी संगठन) है। संस्था का बैलेंसशीट 900 करोड़ रुपये का है। संस्था द्वारा जो भी सेवा कार्य किया जाता है, वह इस राशि से मिलने वाले ब्याज से पूरा किया जाता है। संस्था सदस्यता के जरिये फंड जुटाती है।
250 करोड़ रुपये का सेवा कार्य
जीटो के अनुसार कोविड के दौरान जीटो सदस्यों ने लगभग 500 करोड़ रुपये का दान प्रधानमंत्री राहत कोष में दिया। इसके अलावा कोविड के दौरान परिवहन, भोजन और इलाज पर लगभग 250 करोड़ रुपये का सेवा कार्य भी किया गया। मसलन इंदौर के 100 साल पुराने राबर्ट नर्सिंग होम में 30 करोड़ रुपये की लागत से डायलिसिस यूनिट खोली गई।
प्रतिभाशाली बच्चों के लिए देशभर में 16 छात्रावास
जैन समुदाय के गरीब व प्रतिभावान बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निश्शुल्क शिक्षा, आवास और भोजन की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए देशभर में 16 छात्रावास खोले गए हैैं। इसमें दिल्ली, मुंबई, पुणे, जयपुर, इंदौर, बेंगलुरू, चेन्नई, अहमदाबाद मुख्य रूप से शामिल हैं। वर्तमान में यहां 700 से ज्यादा बच्चे अध्ययनरत हैं। इसे बढ़ाकर 1000 किया जा रहा है।
जैन आचार्य, संत व साध्वियों के लिए श्रमण आरोग्यम योजना
जीटो द्वारा जैन समाज के सभी साधु-संतों के लिए श्रमण आरोग्यम योजना चलाई जा रही है। इसके तहत जीटो ने देशभर के 6000 अस्पतालों से अनुबंध किया है। कोई भी जैन आचार्य व साध्वी इनमें से किसी भी अस्पताल में अपना नि:शुल्क इलाज करवा सकते हैैं। संस्था के मुताबिक इसके तहत लगभग आठ करोड़ रुपये सालाना खर्च वहन किया जाता है।
32 प्रतिशत आयकर चुकाता है जैन समाज
आंकड़ों के अनुसार एक करोड़ से भी काम आबादी वाले जैन समाज द्वारा कुल आयकर का 32 प्रतिशत जैन समाज द्वारा चुकाया जाता है। व्यवसाय में नैतिकता, शुचिता के साथ सुदृढ़ता को बढ़ावा देने वाली संस्था जीटो की एक पहल यह भी है कि लोग ईमानदारी से आयकर चुकाएं।
बिजनेस डेवलपमेंट के साथ कौशल विकास पर जोर
जैन समुदाय के बिजनेस डेवलपमेंट व आर्थिक उन्नयन के लिए बेहतर मंच उपलब्ध करवाने के साथ युवाओं का कौशल विकास भी हमारा लक्ष्य है। यह आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा का ही एक हिस्सा है। समाज के गरीब बच्चों को आइएएस, आइपीएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाता है। इसके लिए सर्वसुविधायुक्त छात्रावास बनाए जा रहे हैैं।
आने वाले समय में जीटो बड़े पैमाने पर एजुकेशन लोन उपलब्ध करवाने की योजना बना रहा है। ताकि समाज में कोई भी बच्चा उचित शिक्षा से वंचित न रह जाए। इसके अलावा गरीबों को मकान दिलवाने में मदद करना मुख्य काम रहेगा। जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले मकान में जीटो कुछ राशि मिलाकर समाज के गरीब तबके को मकान लेने में मदद करेगा।
- भगवत नागौरी, डायरेक्टर, जीटो अपेक्स