ISRO जासूसी मामला: नंबी नारायणन को फंसाने के मामले में आरोपियों की अग्रिम जमानत का विरोध, SC में 25 फरवरी को सुनवाई

इसरो जासूसी मामले में वैज्ञानिक नांबी नारायणन को फंसाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट 25 फरवरी को सीबीआई की अपील पर सुनवाई करेगा।

Update: 2022-01-29 15:40 GMT

इसरो जासूसी मामले में वैज्ञानिक नांबी नारायणन को फंसाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट 25 फरवरी को सीबीआई की अपील पर सुनवाई करेगा। इसमें पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सहित चार लोगों को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती दी गई है जो 1994 के इसरो जासूसी मामले में वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने के आरोपी हैं। जांच एजेंसी ने अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली अपनी अपील पर आरोपी पुलिस अधिकारियों द्वारा दायर जवाब पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए सुनवाई स्थगित करने और चार सप्ताह का समय मांगा। एजेंसी ने कहा है कि इस मामले की जांच कर रहे उसके कुछ अधिकारी कोरोना संक्रमित हैं।

केरल हाई कोर्ट द्वारा वरिष्ठ पुलिस और खुफिया अधिकारियों को अग्रिम जमानत देने के आदेश के खिलाफ सीबीआई की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई शुक्रवार को न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई। पीठ ने अब मामले को 25 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। इससे पहले पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत ने सीबीआई की अपील पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी और आरबी श्रीकुमार (गुजरात के पूर्व डीजीपी), विजयन, थंपी एस दुर्गा दत्त और और पीएस जयप्रकाश को नोटिस जारी किया था।
सीबीआई ने कहा, भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम एक दशक पीछे चला गया
हाईकोर्ट ने पिछले साल 13 अगस्त को चारों आरोपियों को अग्रिम जमानत दी थी। सीबीआई ने कहा कि उसने पाया है कि इस मामले में कुछ वैज्ञानिकों को प्रताड़ित किया गया और फंसाया गया जिसके कारण क्रायोजेनिक इंजन का विकास प्रभावित हुआ और इसके कारण भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम लगभग एक या दो दशक पीछे चला गया। जांच एजेंसी ने पहले कहा था कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि आरोपी एक टीम का हिस्सा थे, जिसका मकसद क्रायोजेनिक इंजन के निर्माण के लिए इसरो के प्रयासों को रोकना था।
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