तालाबों की 160 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे, कहीं पक्के निर्माण कर लिए गए तो कहीं सामुदायिक भवन

Update: 2022-12-03 08:08 GMT

एनसीआर गुडगाँव न्यूज़: शहर में लगातार गिरते भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए एक तरफ जहां तालाबों के सौंदर्यीकरण की योजनाएं बनाकर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शहर के दर्जनों तालाब निजी स्वार्थ की भेंट चढ़ रहे हैं. तालाबों की 160 एकड़ जमीन पर कहीं लोगों ने खुद से पक्के निर्माण कर लिए हैं तो कहीं निगम ने तालाबों का अस्तित्व मिटाकर वहां सामुदायिक भवन और पार्क विकसित कर दिए.

इसका खुलासा नगर निगम की तरफ से हाल ही में किए गए एक सर्वे में हुआ है. सर्वे रिपोर्ट के बाद भी निगम की तरफ से इन तालाबों को कब्जामुक्त करने को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. ऐसे में निगम की राजस्व विंग के अधिकारियों पर सवालिया निशान लग रहा है.

भूमाफियाओं ने काट दी कॉलोनी निगम की सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नगर निगम के पास एक दशक पहले तालाबों की जमीन के लिए करीब 300 एकड़ जमीन मौजूद थी, लेकिन समय के साथ यहां भूमाफिया ने अपने निजी स्वार्थ के लिए इन तालाबों का अस्तित्व मिटाकर वहां पर अवैध कॉलोनी काट दी. रिपोर्ट के अनुसार अलग-अलग गांव के 15 तालाबों पर कब्जा करके यहां कॉलोनियों व प्लॉट काट दिए गए. खास बात यह है कि भूमाफियाओं ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर इन तालाबों की जमीन की कई जगहों पर रजिस्ट्री भी करवा दी है.

निगम अधिकारियों ने दिखाई लापरवाही नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही के कारण आलम यह है कि उन्होंने तालाबों की जमीन पर ही सामुदायिक भवन और पार्क विकसित कर दिए हैं. निगम अधिकारियों ने 56 गांव में मौजूद 41 तालाबों का अस्तित्व मिटाकर उनकी जगह पर कहीं सामुदायिक भवन तो कहीं पार्क विकसित कर दिए हैं. इसके अलावा ग्रामीणों ने इन तालाबों की जमीन पर धार्मिक स्थलों का भी निर्माण कर दिया है. ऐसे में सरकारी जमीन को अवैध कब्जे की भेंट चढ़ने से बचाने का प्रशासन का दावा खोखला साबित हो रहा है. करीब दो दशक पहले तक गुरुग्राम के तालाब का पानी पशुओं के पीने के काम आने के साथ शहर को जलभराव से भी बचाते थे. तालाब से शहर और आसपास का जलस्तर भी बढ़ता था. तालाब का अस्तित्व अब खतरे में है.

अब बनाने पड़ रहे कृत्रिम तालाब: मानूसन के दौरान पहले बारिश का पानी तालाबों में जाकर एकत्रित हो जाता था. इससे शहर की सड़कों पर पानी जमा नहीं होता था. अब तालाबों का अस्तित्व मिट जाने से बारिश का पानी एक जगह एकत्रित नहीं हो पाता और सड़कों पर पानी जमा होने से शहर में हर वर्ष जलभराव की समस्या रहती है. लोग बीते करीब दस साल से जलभराव की समस्या का सामना कर रहे हैं. इससे निपटने के लिए अब निगम और जीएमडीए को खाली पड़ी जमीनों पर कृत्रिम तालाब बनाने पड़ रहे हैं.

कब्जा हटाने को लेकर नहीं की कार्रवाई: नगर निगम के दायरे में शामिल 56 गांव के 162 तालाबों की 300 एकड़ जमीन में से करीब 160 एकड़ जमीन पर कब्जे हो रखे हैं. इसमें निगम द्वारा सामुदायिक भवन व पार्क विकसित करना भी शामिल है. निगम की तरफ से इन तालाबों की जमीन पर जहां भूमाफियाओं ने कॉलोनी काट कर वहां पक्के निर्माण कर लिया है, लेकिन नगर निगम की तरफ से इन तालाबों की जमीन को कब्जामुक्त करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. निगम की तरफ से इन कब्जाधारियों को नोटिस देकर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है.

तालाबों पर जिन लोगों ने कब्जा किया हुआ है उन लोगों को लगातार नोटिस दिए जा रहे हैं. अब जल्द ही इन तालाबों की जमीन को कब्जामुक्त करवाया जाएगा. इसको लेकर योजना बनाई जा रही है.

-विजय यादव, जिला राजस्व अधिकारी, नगर निगम, गुरुग्राम

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