देश , धर्म , समाज के लिये लड़ने वाले को कोई तकलीफ़ हो तो वो दूर करना देश का फ़र्ज़ है: Hardik Hundia
आज देश में पिता और पुत्र की जोड़ी देश के साथ जो पूर्व में घटना घटी थी जिस से देश और धर्म को नुक़्शान हुया है वो नुक़्शान दूर करने में अपनी जान की बाज़ी लगा दी है । देश की वो मस्जिद जो पहले मंदिर थे , वो वापस मंदिर बनाने में क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे है । जी हा मैं बात कर रहा हूँ देश के वरिष्ठ धाराशास्त्री हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णु जैन । ये दोनों पिता पुत्र ने जान की परवा ना करते देश के साथ जो अन्याय हुया है उसको वापस न्याय दिलाने में अनमोल भूमिका निभा रहे है ।बहुत ही सरल स्वभावी ये पिता पुत्र की जोड़ी और पिता के प्रति पुत्र का प्रेम का अनमोल उदाहरण मेरे साथ लाखों लोगो ने देखा है ! हार्दिक हुंडिया ने कहा कि १२ अगस्त यानी इंटरनेशनल डायमंड डे के दिन हरि शंकर जैन को कोहिनूर ऑफ़ इंडिया सम्मान ऑन लाइन दिया जा रहा था ।
हरि शंकर जी बहुत ही व्यस्त थे , फिर भी समय निकालकर ऑन लाइन जुड़े । वे जो गाड़ी की सीट पर बैठे थे पिछली सीट पर उनके सुपुत्र विष्णु जैन बैठे थे । पिता आगे वाली सीट पर पुत्र पीछे वाली सीट पर । ऑनलाइन जुड़ने के बाद पिताजी को कोई भी तकलीफ़ ना हो वो पीछे बैठे बैठे हरि शंकर जी का जैन ध्यान रख रहे थे । कान में ईयर फ़ोन बराबर है या नहीं ऑनलाइन मोबाइल में पिताजी को बराबर दिख रहा है या नहीं ? एक अद्भुत वात्सल्य पुत्र का पिताजी के प्रति दिखा । देश के लिये , समाज के लिये लड़ने वाले विष्णु जैन को अब जान से मारने की धमकी आ रही है लेकिन भारत माता का ये संतान अब डटकर मुक़ाबला कर रहा है । माँ भारती के प्रति इनके सम्मान की कोई सीमा नहीं है वो चाहते है पहले देश सलामत रहे । देश सलामत तो हम सभी सलामत है । हार्दिक हुंडिया ने कहा कि देश की सलामती की उच्च भावना भाने वाले ये पिता पुत्र को कुछ ना हो और उनको सुरक्षा प्रदान करना भारत सरकार का फ़र्ज़ है क्यूकी वे भारत देश के लिये लड़ रहे है । हम सब की फ़र्ज़ है हम सब के लिये लड़ने वाले ये पिता पुत्र के साथ हर भारत माता का संतान है ।
हार्दिक हुंडिया ने कहा कि मूजे गर्व है कि मूजे हरिशंकर जैन जैसे महानुभावों का सम्मान करने का मौक़ा मिला और उन्होंने जो आशीर्वाद के रूप में जो शब्द कहे वो मेरे लिये हीरे मोती से भी ज़्यादा क़ीमती है ।
इन्टरनेशल डायमंड डे के प्रणेता हार्दिक हुंडीया ने देश के वरिष्ठ धाराशास्त्री हरी शंकर जैन का अभिवादन करते हुवे कहा कि करीब ४५ सालों से देश के लिए ऐसी ऐसी लड़ाई लड़ी है , जो देश के लिए मजबूती का काम किया है। कानून जगत के बादशाह कहुं तो भी कम है वरीष्ठ धारा शास्त्री हरी शंकर जैन। ये एक ऐसे ऐडवोकेट है जो कानून जगत के लिए प्रेरणा है।आपने देश के लिए जो जो लड़ाई लड़ी है वो हम सब के लिए प्रेरणा है। ज्ञानव्यापी , अयोध्या जैसे बहु चर्चित केस लड़ने वाले हरीशंकर जैन ने हार्दिक हुंडीया को कहा की आज में घन्य हो गया और आपका यह दिया हुआ सम्मान मेरे लिए आर्शीवाद है और में कोशिश करूंगा कि आगे आने वाले समय में में और मेरा पुत्र दोनों जिस तरह से कार्य कर रहे हैं और भी ज्यादा अचिवमेन्ट हो, अभी में जितना चाहता हुं उतना अचिवमेन्ट नहीं हुआ है। अभी अचिवमेन्ट और करना है, समाज के साथ जो जो विक्रुतियां हुई है, समाज के साथ अन्याय हुआ है,वो सारे मुद्दों को कोर्ट के द्वारा हल करना है।
आपको तहे दिल से हार्दिक रुप से में धन्यवाद देता हूं। हार्दिक जी आप खुद अपने आप में डायमंड है , एक डायमंड ही दुसरे डायमंड को डायमंड देने कि कोशिश कर सकता है, या दे सकता हैं , में समज़ता हुं आपका यह अनुठा कार्य पुरे देश में जिन्होंने राष्ट्र और समाज के लिए अनबिलीव कार्य कीया है उनकी खोजों कर रहे हैं ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है और आप यह कार्य करके देश और समाज के साथ साथ राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। मेंने और मेरे पुत्र ने तो थोड़ा सा काम कीया है, हम लोगों ने वो काम कीया है जो सब की डीमांड थी ऐसा नहीं है कि हमने बहुत बड़ा काम कर दिया है।में धन्यवाद के पात्र हुं, कार्य करना मेरी ड्यूटी थी क्योंकि पूर्व काल में जो कुछ अन्याय हुआ था उसका कानुन से प्रतिकार करना आवश्यक है।मुझे इस लायक समजा़ , मेरे पुत्र को इस लायक समजा़ इसलिए में अपनी तरफ से, मेरे परिवार की तरफ से,और मेरे साथ जुड़े हुए सभी हितेच्छुओं की तरफ से धन्यवाद दे रहा हुं।
हार्दिक हुंडिया ने कहा माँ भारती की रक्षा के लिये लड़ने वाले पिता पुत्र की माँ भारती रक्षा करे ये ही उच्च भावनाओं के साथ