जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय व ग्रीस के इतिहासकार सिकंदर का तलाशेंगे इतिहास

Update: 2022-12-15 06:13 GMT

दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की ग्रीक चेयर भारत में सिकंदर का इतिहास तलाशेगी। ग्रीस और भारत के इतिहासकार और पुरातत्वविद मिलकर हिमाचल प्रदेश के मल्याणा गांव और पाकिस्तान की खैबर-दर्रा स्थित कलाश जाकर सबूत जुटाएंगे। दरअसल, मल्याणा गांव और कलाश जनजाति के लोगों का दावा है कि वे सिकंदर के साथ आए उन सैनिकों के वंशज हैं, जो वापस नही गए थे। इसके अलावा सिकंदर के आने के बाद भारतवर्ष में उद्योग, कला, संस्कृति, भाषा, जीवनशैली, सेना आदि में बदलाव का भी अध्ययन किया जाएगा। इन रिपोर्ट के आधार पर आगे छात्रों को पढ़ने का मौका भी मिलेगा।

जेएनयू स्थित स्कूल ऑफ लैंग्वेज के ग्रीक चेयर के प्रोफेसर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में वर्ष 1999 -2000 में ग्रीक सरकार ने ग्रीक चेयर स्थापित की थी। यहां पढ़ाई, अध्ययन, शोध आदि का पूरा खर्च ग्रीक सरकार उठाती है। यहां पर भाषा, साहित्य, संस्कृति पर पढ़ाई हो रही है। इसके अलावा ऐतिहासिक दस्तावेज पर काम करने के अलावा सांस्कृतिक, सभ्यता के आदान-प्रदान आदि पर काम कर रहे हैं। हिमाचल के मल्याणा गांव और पाकिस्तान के कलाश जनजाति के निवासियों का दावा है कि वे सिकंदर की सैनिकों के वशंज है। मल्याणा के निवासियों के दावा का अभी तक कोई ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं मिला है। अब अध्ययन के बाद ठोस दस्तावेज तैयार करेंगे।

वहीं, ग्रीस के पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों को खुदाई में पाकिस्तान के कलाश जनजाति में उनके दावों के सबूत मिले हैं। दरअसल नाक, आंख का रंग, भाषा, पहनावा आदि मिलते-जुलते हैं। इससे प्रतीत हुआ था कि यह सिकंदर की सेना के जो सैनिक यही रह गए थे, यह उनके वशंज होंगे या इनका ग्रीक से कोई नाता रहा होगा। इन्हीं सवालों के जवाब विशेषज्ञ मिलकर तलाशेंगे।

जेएनयू में जुटे दुनियाभर से विशेषज्ञ:

जेएनयू में मार्च- 2022 में ग्रीक के विदेश मंत्री आए थे। उन्होंने अपने संबोधन में दोनों देशों के रिश्ते सुदृढ़ करने और सांस्कृतिक, राजनीतिक व डिप्लोमेसी एरिया में काम करने पर जोर दिया था। इसी के बाद जेएनयू में 12 दिसंबर से सिकंदर के भारत आने के बाद का युग विषय प रपांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेस आयोजित की जा रही है। इसमें सिकंदर काल के बाद ग्रीक और भारत के रिश्ते, इतिहास, संस्कृति, व्यापार, कला आदि पर चर्चा हुई। इस दौरान सिकंदर की जीवनी पर आधारित एक डिजिटल प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इसमें सिकंदर से जुड़े अहम दस्तावेज भी शामिल हैं।

गांधार कला का भी अध्ययन: प्रोफेसर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि सिकंदर के बाद के युग में भारत और ग्रीस दोनों देश पास आए। इसे हेलेनेस्टिक युग कहा जाता है। इस दौरान 20 से 22 ग्रीक राजाओं ने भारतवर्ष (अफगानिस्तान, पाकिस्तान व पंजाब का एरिया) पर शासन किया। इसी शासनकाल के कारण भारत में मिली-जुली संस्कृति की स्थापना हुई। इस दौरान गांधार आर्ट जैसी कला आई। इसमें तकनीक बेशक वेस्टर्न थी, लेकिन विषय भारतीय था। गांधार कला युनानी तकनीक और भारतीय विषय को लेकर विकसित हुई। इसको लेकर भी अध्ययन होगा कि गांधार कला में हजारों वर्षों के बाद कितना बदलाव आया है।

पहली बार भारतीय छात्र ग्रीस में जाकर कर सकेंगे पढ़ाई : ग्रीस सरकार ने बुधवार को जेएनयू में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय छात्रों को इतिहास, संस्कृति, यूनानी भाषा, पुरातत्व, जर्नलिज्म एंड मीडिया स्ट्डी में ग्रीस के विश्वविद्यालयों में स्कॉलरशिप से पढ़ाई करने की घोषणा की है। इसका चयन जेएनयू की ग्रीक चेयर की टीम करेगी। दरअसल पहली बार ग्रीस सरकार ने भारतीय छात्रों को ध्यान में रखते हुए अपने विश्वविद्यालयों में ग्रीस के अलावा अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई को मंजूरी दी है। इसी के तहत शैक्षणिक सत्र 2023-24 से स्ट्डी इन ग्रीस में 100 से 150 प्रोग्राम को अंग्रेजी भाषा में शुरू करने को भी मंजूरी दे दी है।

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