एम्स में आधा दर्जन डॉक्टर कोरोना की चपेट में, अस्पताल में मचा हड़कंप

कोरोना संक्रमण की लहर एक बार फिर देश के सबसे बड़े चिकित्सीय संस्थान एम्स तक पहुंच गई है।

Update: 2021-12-30 18:10 GMT

कोरोना संक्रमण की लहर एक बार फिर देश के सबसे बड़े चिकित्सीय संस्थान एम्स तक पहुंच गई है। एम्स में पिछले दो दिन में ही आधा दर्जन डॉक्टर कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं। अभी तक इनमें ओमिक्रॉन वैरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि बृहस्पतिवार को एम्स प्रबंधन ने संक्रमित डॉक्टरों के बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं दी लेकिन प्रबंधन ने रेजिडेंट डॉक्टरों का एक महीने के लिए कार्यकाल जरूर बढ़ाया है।

एम्स के डॉक्टरों से पता चला है कि बीते दो दिन में संस्थान के छह डॉक्टर संक्रमित हुए हैं। इनमें से तीन डॉक्टर मरीजों के संपर्क में आने से संक्रमित बताए जा रहे हैं। जबकि अन्य के बारे में जानकारी नहीं है। सभी डॉक्टरों में संक्रमण के लक्षण हल्के हैं लेकिन एम्स प्रबंधन ने इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। जय प्रकाश नारायण ट्रामा सेंटर के एक डॉक्टर ने बताया कि संक्रमण का एक्सपोजर फिर से शुरू हुआ है। अस्पतालों में कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों का जोखिम बढ़ा है। बीते दो दिन में ही उनके यहां पांच से छह डॉक्टर कोरोना संक्रमित मिले हैं।
एम्स प्रबंधन के एक अधिकारी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के बारे में उन्हें नहीं पता है लेकिन कोविड टास्क फोर्स ने यह तय किया है कि जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं है उन्हें ड्यूटी पर आना है। जबकि लक्षण मिलने पर उक्त रोगी को 14 दिन के लिए अपने घरों में क्वारंटीन रहना है। कोविड को देखते हुए एम्स प्रबंधन ने रेजिडेंट डॉक्टरों का कार्यकाल एक माह के लिए आगे बढ़ाया है। कोविड टास्क फोर्स की सिफारिश पर एम्स के रजिस्ट्रार ने निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत जिन जूनियर और सीनियर रेजिडेंट का कार्यकाल 31 जनवरी 2022 को पूरा हो रहा है उन्हें एक माह का एक्सटेंशन दिया है।
ट्रामा सेंटर की शिफ्टिंग पर डॉक्टरों में नाराजगी
एम्स ने कोरोना मरीजों के लिए एम्स के ट्रामा सेंटर को चयनित किया है। यहां के तीन मंजिल को आरक्षित किया गया है। साथ ही ट्रामा मरीजों को मुख्य परिसर में शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। एक महीने पहले ही ट्रामा सेंटर के रोगियों को यहां शिफ्ट किया गया था। ऐसे में डॉक्टरों ने प्रबंधन के खिलाफ काफी नाराजगी व्यक्त की है। इनके अनुसार बीते दो साल में दिल्ली एम्स एक भी कोरोना बेड नहीं बढ़ा पाया है। महामारी के नाम पर प्रबंधन शिफ्टिंग शुरू कर देता है जिसके चलते दूसरे मरीजों को परेशानी होती है। उनके ऑपरेशन के लिए थियेटर नहीं मिलते हैं।
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