बड़ी खुशखबरी! डेंगू मरीजों के लिए केंद्र सरकार 5 साल के अंदर खोज निकालेगी बेहतर इलाज
ट्रांजिशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट डेंगू के नए ट्रीटमेंट की खोज के लिए एक इंडियन फाउंडेशन ‘ड्रग्स फॉर नेगलेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव’ के साथ काम कर रही है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ट्रांजिशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट (THSTI) डेंगू के नए ट्रीटमेंट की खोज के लिए एक इंडियन फाउंडेशन 'ड्रग्स फॉर नेगलेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव' (DNDi) के साथ काम कर रही है. THSTI विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट का एक स्वायत्त संस्थान (Autonomous Institute) है. टीएचएसटीआई के कार्यकारी निदेशक प्रमोद कुमार गर्ग ने एक बयान में बताया कि डेंगू संक्रमण (Dengue) के इलाज के लिए कोई स्पेसिफिक एंटीवायरल दवा नहीं हैं और टीकों का भी सीमित उपयोग है.
उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार के इलाज की पहचान पर काफी रिसर्च के बावजूद, हमें अभी तक कोई खास परिणाम हासिल नहीं हो सके हैं. हालांकि यह जरूरी है कि हम लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली इस बीमारी से निपटने के प्रयासों में शामिल हों. उन्होंने कहा, 'DNDi इंडिया फाउंडेशन के साथ सहयोग डेंगू बुखार के प्रभावी उपचार को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे नॉलेज गैप को दूर किया जा सकेगा और डेंगू मरीजों की जरूरतों की पहचान करने के लिए क्लीनिकल रिसर्च में तेजी आएगी.'
मानसून सीजन में रफ्तार पकड़ता है डेंगू
डेंगू दुनिया भर में शीर्ष 10 बीमारियों में से एक है और भारत में ये बीमारी विशेष रूप से मानसून के मौसम के दौरान रफ्तार पकड़ती है. जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके करीब 3-5 दिनों बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं. यह संक्रामक काल 3-10 दिनों तक भी हो सकता है या ज्यादा भी. डेंगू में पीड़ित मरीज का प्लेटलेट्स का स्तर गिरने लगता है और बुखार, जी मिचलाना, रैशेज, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द, बेचैनी, पेट दर्द, शरीर में दर्द आदि कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं.
ऑर्गन फेलियर का भी खतरा
अगर संक्रमण गंभीर डेंगू में तब्दील हो जाता है. तब ऐसी स्थिति में मरीजों को आंतरिक रक्तस्राव (Internal Bleeding) और अंग विफलता (Organ Failure) का खतरा पैदा हो सकता है. ऐसी स्थिति में कई मरीज दम भी तोड़ देते हैं. 100 से ज्यादा देशों में हर साल अनुमानित 3.9 करोड़ डेंगू संक्रमण के बावजूद, कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं है. यह बीमारी ना केवल मरीज की पीड़ा का कारण बनती है, बल्कि पहले से ही बोझ से दबे हेल्थ सिस्टम पर अत्यधिक दबाव डालती है.