G20: शिखर सम्मेलन से विदेश नीति को धार देने की तैयारी, इन नेताओं के साथ 15 द्विपक्षीय बैठकें

Update: 2023-09-08 08:09 GMT
जी20 शिखर सम्मेलन के लिए दुनिया भर के नेताओं का भारत आना शुरू हो गया है। दुनिया के सामने भारत की सॉफ्ट पावर को मजबूत करने का भारत के पास ये एक अच्छा मौका है। अब खबर है कि भारत इस सम्मेलन के जरिए अपनी विदेश नीति को भी धार देने की तैयारी कर रहा है। दरअसल शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी दुनिया के शीर्ष नेताओं के साथ 15 से ज्यादा द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।
 इन नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे पीएम मोदी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी 8 सितंबर को मॉरीशस, बांग्लादेश के प्रधानमंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। 8 सितंबर को ही पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ बैठक करेंगे। इसके अलावा 9 सितंबर को पीएम मोदी जी20 शिखर सम्मेलन से इतर ब्रिटेन, जापान, जर्मनी और इटली के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। 10 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ लंच मीटिंग करेंगे। साथ ही कनाडा के पीएम के साथ अलग बैठक करेंगे। इनके अलावा प्रधानमंत्री मोदी कोमोरोस, तुर्किए, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय यूनियन, यूरोपीय कमीशन, ब्राजील और नाइजीरिया के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।
जी20 की थीम वसुधैव कुटुंबकम
भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी20 सम्मेलन की थीम 'वसुधैव कुटुंबकम' या 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्युचर' रखी गई है। इस जी20 सम्मेलन में कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्वबैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड और द ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनोमिक कॉपरेशन एंड डेवलेपमेंट के प्रमुख शामिल हैं। भारत ने जी20 सम्मेलन के लिए अफ्रीकन यूनियन, अफ्रीकन यूनियन डेवलेपमेंट एजेंसी, एशियन डेवलेपमेंट बैंक और आसियान जैसे क्षेत्रीय संगठनों को भी सम्मेलन में शामिल होने का न्योता दिया है।
जी20 की बैठक के ये हो सकते हैं एजेंडे
जी20 के शिखर सम्मेलन में आर्थिक और वाणिज्यिक विषयों के अलावा जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, कर्ज जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कर्ज संरचना में सुधार, क्रिप्टोकरेंसी का नियमन और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे जी20 बैठक के एजेंडे में शामिल हो सकते हैं। साथ ही भारत अक्षय ऊर्जा, जलवायु वित्त जैसे मुद्दों पर भी फोकस कर सकता है।
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