दिल्ली न्यूज़: शरीर में अकड़न, सोचने, समझने, महसूस करने की क्षमता घटने, तनाव से दिमाग पर होने वाले प्रभाव से शरीर में किस तरह का नुकसान हो सकता है और उसे दूर कैसे किया जा सकता है। एम्स इस विधि को 11 देशों से आए विशेषज्ञों को सिखा रहा है। दरअसल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, (एम्स), दिल्ली के शरीर क्रिया विज्ञान विभाग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों के लिए टिप्स 2022 का आयोजन किया है।
इन देशों में बांग्लादेश, भूटान, कोरिया डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक, भारत, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और तिमोर-लेस्त देश से आए विशेषज्ञों के प्रतिनिधिमंडल को दिमाग से जुड़ी विभिन्न बीमारी के बारे में जानकारी दी जा रही है। साथ ही इसके उपचार के बारे में बताया जा रहा है। विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि विभाग के लैब में विभिन्न विषयों पर अध्ययन चल रहा है। इन अध्ययनों को दल के साथ साझा कर उपचार की विधि तैयार की जा रही है।
पार्किंसन के मरीजों पर अध्ययन : विभाग में पार्किंसन के मरीजों के उपचार के लिए क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है। विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि तीन माह तक चलने वाले इस ट्रायल में पार्किंसन के मरीजों को लैब में प्रोबायोटिक दिया जा रहा है। देखा जा रहा है कि इससे मरीज पर क्या असर पड़ता है। यदि यह ट्रायल सफल रहा तो इसे उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। बता कि कि प्रोबायोटिक एक प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं, जिसमें जीवित जीवाणु या सूक्ष्म जीव शामिल होते हैं।
इन पर भी हो रही है चर्चा
सिजोफ्रेनिया – यह एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति की स्पष्ट रूप से सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
दिमाग में गांठ बनना
तनाव से दिमाग में पहुंचने वाला सिग्नल होता है प्रभावित
शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द
पार्किंसन घटा देता है दिमाग के सिग्नल की गति
एम्स के वरिष्ठ डॉ. कंवल प्रीत कोचर ने डॉ. लक्ष्मण पाटिल के साथ मिलकर पार्किंसन से दिमाग पर होने वाले असर पर एक अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि सामान्य व्यक्ति में शरीर के अंगों से दिमाग तक सूचना का आदान-प्रदान एक हजार से 1500 मिली सेकंड की गति से होता है, जबकि पार्किंसन के मरीजों में यह गति काफी घट जाती है। इससे शरीर तुरंत प्रतिक्रिया नहीं कर पाता। बता दें कि पार्किंसन के मरीजों का शरीर अकड़ जाता है। इसके अलावा मरीज संतुलन तक खो देता है।