दिल्ली न्यूज़: जलवायु परिवर्तन के के कारण बढ़े हुए तापमान, और चिलचिलाती गर्मी का सीधा जल चक्र से संबंध है। इसलिए जलवायु परिवर्तन के कारण हमें जल प्रबंधन पर भी काम करना चाहिए। यह बात मंगलवार को सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कही।
बढ़ती गर्मी से जल संकट बढ़ेगा: उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में अचानक बढ़ी गर्मी का क्या मतलब है? खासकर तब जब हम विश्व जल दिवस मना रहे हैं। यह जलवायु परिवर्तन का युग है। आने वाले दिनों में हम भीषण जल संकट से कैसे निपटेंगे इसकी तैयारी करनी जरूरी है। सीएसई की अवंतिका गोस्वामी ने कहा कि 2021 में ला नीना की वजह से देश के कई हिस्सों में फरवरी में ही तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेट चला गया था। इस वर्ष भी ठीक उसी तरह के वातावरण से हम दो चार हो रहे हैं।
अंडर ग्राउंड वाटर स्टोरेज बनाकर किया जा सकता है संरक्षण: जिससे वाष्पीकरण तेजी से बढ़ा है। आने वाले जल संकट से बचने के लिए हमें लाखों पानी जमा करने की जगहें बनानी होंगी। ताकि वाष्पीकरण से हो रही जल हानि को पूरा किया जा सके। सरकारें चाहें तो वह अंडर ग्राउंड वाटर स्टोरेज, कुएं बनाने पर भी काम कर सकती हैं। क्योंकि बढ़ती गर्मी से मिट्टी सूखेगी सूखी मिट्टी से धूल बनेगी और धूल भरी आंधियां अधिक आएंगी। बार बार सूख रही मिट्टी के कारण किसानों को अन्न उपजाने के लिए अधिक सिंचाई भी करनी पड़ेगी।