दिल्ली में 81 एकड़ में बनेगी इलेक्ट्रॉनिक सिटी, बहुत जल्द ले आउट प्लान एमसीडी के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा
दिल्ली न्यूज़: दिल्ली सरकार ने बापरौला में दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनाने की कवायद शुरू कर दी है। दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएसआईआईडीसी) बापरौला के संशोधित ले आउट प्लान को अगले कुछ दिनों में एमसीडी के पास मंजूरी के लिए भेजेगी। केंद्र की अधिसूचना में फ्लोर एरिया रेशियो को 150 प्रतिशत से बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दिया गया है। जिससे 26 मीटर से अधिक ऊंचाई मिल जाने के चलते 2 और फ्लोर का निर्माण आसानी से किया जा सकेगा। इलेक्ट्रॉनिक सिटी से सीधे तौर पर 80 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। सरकार ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने समेत अन्य प्रारंभिक कार्यों को शुरू करने के लिए डीएसआईआईडीसी को 2022-23 के बजट में 10 करोड़ रूपए का आवंटन किया है। इलेक्ट्रॉनिक सिटी के लिए अगले 6 महीने के अंदर कंसल्टेंट की नियुक्ति हो जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बापरौला में 137 एकड़ में इलेक्ट्रॉनिक सिटी के लिए औद्योगिक क्षेत्र तैयार किया जाएगा। 137 एकड़ में से 81 एकड़ भूमि उद्योग के इस्तेमाल के लिए होगी। जबकि बाकी भूमि पर वॉक टू वर्क के लिए हाउसिंग कॉम्प्लेक्स, वेयर हाउस और कॉन्फ्रेंस हाल का निर्माण कराया जाएगा। यहां बहुमंजिला बिल्डिंग का निर्माण किया जाएगा। इसका मकसद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की डिजाइन, निर्माण और बिक्री को लेकर निवेश और नौकरियों को बढ़ावा देना है।
25 नॉन-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास की भी तैयारी: दिल्ली में छह लाख रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में राज्य सरकार ने शहर के 25 नॉन-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास के लिए ले आउट प्लान बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। दिल्ली सरकार ने डीएसआईआईडीसी को इन असंगठित औद्योगिक इलाकों का ले आउट तैयार करने का काम सौंपा है, ताकि उनका पुनर्विकास किया जा सके। इसके लिए डीएसआईआईडीसी सलाहकार फर्म को नियुक्त करने की तैयारी में है। इसके लिए डीएसआईआईडीसी को 2022-23 के बजट में सरकार ने 25 करोड़ रूपए आवंटित किया है। राजधानी में 25 अधिसूचित नॉन-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्र हैं, जिनमें लगभग 16 लाख लोग कार्यरत हैं। इन क्षेत्रों के पुनर्विकास से अतिरिक्त छह लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इन औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के पुनर्विकास के साथ सरकार की योजना वहां सीवेज, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र व पेयजल आपूर्ति की बेहतर व्यवस्था करनी है। इसके अलावा औद्योगिक अपशिष्ट निपटान की व्यवस्था ठीक की जाएगी। सड़कों को बेहतर किया जाएगा। पार्क अच्छे बनाए जाएंगे। सरकार यहां कामन फैसिलिटी सेंटर भी बनाएगी, जिसमें आरएंडडी सेक्शन, एक्सपीरियंस सेंटर, टूल रूम, प्रोसेसिंग सेंटर, मान्यता प्राप्त टेस्ट लैब, ट्रेनिंग सेंटर, बिजनेस कंवेंशन सेंटर, रा मटेरियल बैंक और लॉजिस्टिक्स सेंटर बनाए जाएंगे।
ये हैं नॉन-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्र: पर्यावरण विभाग के अनुसार आनंद पर्वत, शाहदरा, समयपुर बादली, जवाहर नगर, सुल्तानपुर माजरा, हस्तसाल पाकेट-ए, नरेश पार्क एक्सटेंशन, लिबासपुर, पीरागढ़ी गांव, ख्याला, हस्तसाल पाकेट-डी, शालीमार गांव व न्यू मंडोली हैं। इनके अलावा नवादा, रिठाला, स्वर्ण पार्क मुंडका, हैदरपुर, करावल नगर, डाबरी, बसई दारापुर, प्रहलादपुर बांगर, मुंडका और मुंडका उद्योग नगर, मुंडका में फिरनी रोड, रणहोला और नंगली सकरावती भी नॉन-कंफर्मिंग औद्योगिक क्षेत्रों में शामिल हैं।
दिल्ली में 25,253 उद्योग 28 स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्र में: दिल्ली में 25,253 उद्योग 28 स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा इस साल जनवरी में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 17 स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्रों में 22,311 इकाइयां 13 सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों से जुड़ी हैं।