तेजाब के बिक्री पर बैन के बावजूद भी धड़ल्ले से बिक रहा, किसकी गलती

Update: 2022-12-15 06:20 GMT

दिल्ली: जहां एक तरफ देश की राजधानी दिल्ली के द्वारका में बीते बुधवार सुबह स्कूल जाने के लिए घर से निकली 17 वर्षीय लड़की पर बाइक सवार दो नकाबपोश लोगों ने तेजाब फेंक कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। वहीं इस लड़की का अब सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा है। हालांकि दिल्ली में इस तरह की यह कोई पहली घटना कतई नहीं है। केंद्र सरकार की एक दिल दहलाने वाली रिपोर्ट के मुताबिक तीन साल में दिल्ली में तेजाब हमले (Acid Attack) के 32 मामले सामने आ चुके हैं। सरकार कि मानें तो, इस तरह के हमलों में महामारी के दौरान गिरावट देखी गई थी, लेकिन महामारी के बाद इसमें अब फिर से इजाफा हुआ है।

डेटा से उड़ जायेगी नींद: राज्यसभा को मिले डेटा को देख साफ़ पता चलता है कि, साल 2018 से 2021 के बीच दिल्ली में तेजाब हमले के 32 मामले दर्ज किए गए। यह आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हैं। जहां 2018 में एसिड अटैक के 11 मामले सामने आए थे, जबकि 2019 में ऐसे 10 मामले सामने आए, लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के दौरान ऐसे मामले गिरकर सिर्फ 2 होगए थे। लेकिन नए आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में एसिड अटैक के मामले बढ़कर 9 हो चुके थे।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: हमेशा की तरह तेजाब हमले को लेकर लोगों में आक्रोश जरुर है और एक बार फिर लोगों ने प्रतिबंध के बावजूद बाजार में तेजाब की मौजूदगी को लेकर भी सवाल उठाया है। पता हो कि, सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में अपने एक आदेश में राज्य सरकारों को एसिड की रिटेल बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी साफ़ निर्देश दिया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि एसिड की खुले बाजार में बिल्कुल न बिके। वहीं राजधानी दिल्ली में भी बिना लाइसेंस एसिड की बिक्री नहीं की जा सकती। इतना ही नहीं इसके खरीदार को भी यहां अपनी पहचान देनी होती है।

बिना लाइसेंस हो रही एसिड की बिक्री: वहीं जब साल 2016 में दिल्ली महिला आयोग ने अपनी एक टीम ग्राउंड में भेजी और यह जानने की कोशिश की, कि क्या एसिड खरीदने के लिए बनाए गए यह नियम प्रभावी अभी भी हैं या नहीं। लेकिन यहां महिला आयोग ने पाया था कि, 23 तो ऐसी दुकानें थीं, जहां बिना ID कार्ड और कोई पहचान के ही एसिड की धड़ल्ले से बिक्री की जा रही थी। बाद में महिला आयोग ने दिल्ली सरकार से इसपर एक्शन लेने का अनुरोध किया था। नियमों केर मुताबिक इसकी जांच की जिम्मेदारी SDM की होती है और वो नियम तोड़ने वालों पर 50 हजार रुपए का फाइन भी ठोक सकते हैं।

क्या है ताजा तस्वीर: अब अगर कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, बीते 2017 से इस संबंध में बहुत कम ही 'विजिलेंस' और 'रेड्स' हुए हैं। ये पाया गया है कि 2017 से SDM ईस्ट, नॉर्थ, न्यू दिल्ली, नॉर्थ दिल्ली और शाहदरा में नियम तोड़ने वालों पर कोई भी जुर्माना नहीं लगाया गया। हालांकि पिछले 6 सालों में पश्चिमी दिल्ली में 9,90,000 रुपए जुर्माना लगाया गया। नॉर्थ वेस्ट दिल्ली में 20,000 रुपए जुर्माना लगाए गए। लेकिन वहीं 36। 5 लाख रुपए जुर्माने की रकम का तेजाब हमले के विक्टिम के रिहैबिलिटेशन पर कोई भी खर्च नहीं किया गया है। इससे साफ़ पता चलता है कि केंद और राज्य सरकारें इस मामले में कितनी उदासीन है, जो इस स्तिथि को और भी भयानक और खतरनाक बना रहा है। 

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