दिल्ली: क्या पार्षदों को जनता व नौकरशाहों के बीच समन्वय बनाने की जिम्मेदारी मिलेगी, जानिए

Update: 2022-04-08 16:58 GMT

दिल्ली न्यूज़: दिल्ली के तीनों उत्तरी, दक्षिणी व पूर्वी नगर निगम की एकीकरण का प्रस्ताव लोकसभा व राज्यसभा में पारित हो गया है। अब राष्ट्रपति की हरी झंडी व अधिसूचना जारी होते ही तीनों निगम एक हो जाएगी तथा वर्तमान नगर निगम प्रशासन भंंग हो जाएगा। केंद्र सरकार के निगमों क एकीकरण प्रस्ताव के तहत एक कमिश्नर (निगमायुक्त) होगा तथा निगम पर नियंत्रण के लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में कह चुके हैं कि विशेष अधिकारी उच्च स्तर के अधिकारी (आईएएस) होंगे। परिसीमन होने के निगम क बाद ही नगर निगम चुनाव होने की संभावना है, जिसमें लंबा वक्त लग सकता है। निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में यही चर्चा है कि क्या नगर निगम को पूरी तरह से नौकरशाहों के हवाले कर दिया जाएगा। ऐसे में आम नागरिकों की फरियाद को कौन सुनेगा। क्या एक आईएएस अधिकारी आम नागरिकों की समस्याओं पर उस तरह ध्यान देंगे जैसे कि एक वार्ड पार्षद देते हैं। आम नागरिकों द्वारा चुनकर निगम में भेजे गए पार्षद हर समय उनके लिए उपलब्ध रहते हैं, लेकिन निगमायुक्त या अन्य उच्च अधिकारी महापौर की तरह क्या नागरिकों की फरियाद सुनेंगे। इस सवाल का जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है, लेकिन निगम में बैठे पार्षद जनता की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए रास्ता ढूंढ लिया है। पार्षदों का कहना है कि पार्षदों को निगम अधिकारियों व जनता के बीच समन्वय बनाने के लिए पुल का काम करने का अधिकार दिया जाए।

जिससे कि निगम का काम सुचारू रूप से चल सके और दिन्ली व जनता के विकास में कोई अड़चन न पैदा हो। पूर्व महापौर व जनकपुरी से पार्षद नरेंद्र चावला का कहना है कि जनहित में तथा दिल्ली के विकास के लिए पार्षदों को नौकरशाह व जनता के बीच पुल का काम करने के लिए केंद्र सरकार एक समिति का गठन करें, जिसमें जनता के चुने गए प्रतिनिधियों यानी कि वर्तमान पार्षदों को उसी तरह शामिल किया जाए, जिस तरह महापौर व स्थायी समिति अध्यक्ष का पद के लिए पार्षद को नियुक्त किया जाता है। इस तरह से एक बड़ी समस्या हल हो सकती है तथा आम नागरिकों की समस्याओं का भी समाधान हो सकेगा। इधर निगम की आर्थिक हालत सुधारने के लिए निगम विशेषज्ञ जगदीश मामगाई का कहना है कि केंद्र सरकार निगमों की हालत सुधारने के लिए अनुदान स्वरूप 13 से 15 हजार करोड़ दे तभी एकीकृत नगर निगम ठीक ढंग से कार्य कर सकेगी।

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