दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव : अकाली दल ने लगाई जीत की हैट्रिक, हंगामे के बीच हरमीत कालका बने कमेटी के अध्यक्ष
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के लिए देर रात संपन्न हुए चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के हरमीत सिंह कालका को नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के लिए देर रात संपन्न हुए चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के हरमीत सिंह कालका को नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। उन्हें 29 वोट मिले। वहीं, हरविंदर सिंह केपी को वरिष्ठ उपाध्यक्ष चुना गया है। इससे पहले दिनभर गहमागहमी और गतिरोध का घटनाक्रम चलता रहा।
शनिवार को गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित गुरु गोविंद सिंह भवन में दोपहर करीब 12 बजे शुरू हुई चुनाव प्रक्रिया बाधित होने के बाद शाम को पुलिस बल बुलाने की नौबत तक आ गई थी। काफी देर तक वोटिंग भी शुरू नहीं हो सकी थी। वहीं, गुरुद्वारा के अंदर पुलिस की मौजूदगी पर एक पक्ष ने विरोध भी जताया था।
दोपहर करीब 12 बजे के बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू की गई। चेयरमैन पद की चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए गुरदेव सिंह को प्रो-टैंपोर (कार्यवाहक) चेयरमैन चुना गया। चेयरमैन यानी प्रधान पद के लिए हरमीत सिंह कालका (बादल गुट) और परमजीत सिंह सरना उम्मीदवार थे, जिनके पक्ष में सदस्यों को अपनी पसंद से मतदान करना था। तीन सदस्यों ने मत पेटी के अंदर अपना वोट डाल भी दिया था, लेकिन इस बीच सदस्य सुखबीर सिंह कालड़ा ने साथी कमेटी सदस्य को अपनी वोट दिखा दी। इसको लेकर परमजीत सिंह सरना और मंजीत सिंह जीके राणा ने विरोध किया। हरमीत सिंह कालका और परमजीत सिंह सरना गुट के सदस्यों के बीच पहले बहस हुई और फिर धक्कामुक्की शुरू हो गई। उधर, दिन भर के हंगामे के बाद रात को अर्धसैनिक बल और पुलिस की अतिरिक्त टीम बुलाई गई।
नाराज रंजीत कौर ने छोड़ा कार्यालय
मतदान प्रक्रिया के दौरान हंगामा होने के बाद बीबी रणजीत कौर कार्यालय से बाहर आईं। उन्होंने आरोप लगाया कि सब आपस में लड़ रहे हैं। उन्होंने बेअदबी का भी आरोप लगाया। हालांकि दोनों ही पक्षों ने बेअदबी से पूरी तरह से इनकार किया। मंजीत सिंह जीके ने कहा कि बेअदबी कहीं नहीं हुई है। कुछ लोग चाहते हैं कि हाथ उठाकर फैसला हो जाए। जबकि, नियम के तहत ऐसा संभव नहीं है। इसको लेकर बहस और धक्का-मुक्की जरूर हुई है। बाकी जब तक मतदान नहीं होता है, हम यहीं पर अड़े हैं।
कार्यवाहक चेयरमैन बनाने पर भी रहा गतिरोध
नियम के तहत चेयरमैन पद के लिए चुनाव संपन्न कराने के लिए एक सदस्य को कार्यवाहक चेयरमैन चुना जाता है, जिसकी निगरानी में चेयरमैन (प्रधान) पद के लिए चुनाव प्रक्रिया होती है। शनिवार को प्रो-टैंपोर चेयरमैन के तौर पर गुरदेव सिंह को चुना गया। बताया जा रहा है कि विपक्षी प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान हरजिंदर सिंह धामी को बनाना चाहते थे लेकिन हरमीत सिंह कालका यानी अकाली दल बादल गुटा ने इसका विरोध किया।
आरोप यह भी लगे कि धामी ने उम्मीदवार बनने की सहमति अपनी पार्टी के विरोध के बाद वापस ली। गुरदेव सिंह के कार्यवाहक चेयरमैन बनने से कुछ सदस्यों ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि नियम के तहत वरिष्ठ सदस्य को ही यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
हाथ उठाकर फैसला होने पर बिगड़ा माहौल : बताया जा रहा है कि दोपहर में चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से चल रही थी लेकिन जैसे ही सदस्य सुखबीर सिंह कालड़ा ने साथी कमेटी सदस्य को अपना वोट दिखाया तो अचानक से माहौल बिगड़ गया। पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना और मंजीत सिंह जीके ने विरोध कर दिया। दोनों ने कहा कि एक्ट में प्रावधान है कि गुप्त मतदान होना चाहिए।
अब सुखबीर सिंह अपना वोट दिखा चुके हैं तो इस वोट को निरस्त माना जाए। इसके बाद अकाली दल बादल गुट हाथ उठाकर मतदान करने पर अड़ गया। बताया जा रहा है कि इस बीच कार्यवाहक चेयरमैन गुरदेव सिंह ने भी कह दिया कि अपना हाथ उठाओ। बस इस पर पूरा माहौल बिगड़ गया और दोनों पक्षों के बीच बहस और धक्का-मुक्की हुई। सरना गुट ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया गुप्त मतदान से होगी जबकि बादल गुट हाथ उठाकर मतदान करने पर अड़ा रहा।
मनमानी का आरोप
चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए शनिवार रात को गुरुवारा रकाबगंज साहिब के गुरु गोविंद भवन में पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों तैनात कर दिए गए। इस पर जागो गुट की तरफ से बादल गुट पर मनमानी करने का आरोप लगाया गया।
समीकरण बिगड़ने का था डर
55 सदस्यों की कमेटी में 51 को ही मतदान करने का अधिकार होता है जो अध्यक्ष और कार्यकारिणी के अन्य पदाधिकारियों को चुनने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। मौजूदा समय में सदस्यों की संख्या के हिसाब से शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के पास करीब 27 सदस्य बताए जा रहे थे। शुक्रवार को हरमीत सिंह कालका ने एक वीडियो जारी कर 30 से अधिक सदस्यों को समर्थन होने की बात कही थी लेकिन मतदान तक एकजुट रखने की चुनौती थी। प्रबंधक कमेटी पर कब्जा जमाने के लिए अकाली दल के धुर विरोधी सरना और जीके ग्रुप ने हाथ मिलाया था।
कब-क्या हुआ
बूथ कैप्चरिंग तक के आरोप लगे
चुनाव प्रक्रिया गुरुद्वारा रकाबगंज में चल रही है और अफवाहों का बाजार बाहर गरम था। सोशल मीडिया पर रात को बूथ कैप्चरिंग की सूचना चलने लगी। आरोप लगे की बादल गुट फर्जी तरीके से अफवाहें फैला रहा है, जिससे कि चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके। उधर, बादल गुट की तरफ से स्पष्ट किया गया कि उनका उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीके से आज ही चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष तरीके से पूरा कराने का है।
रात में उठी मीटिंग रद्द कराने की मांग
जागो गुट की तरफ से चुनाव के लिए बुलाई गई बैठक को रद्द करने की गई। बताया जा रहा है कि जागो की तरफ से सदस्यों ने मांग की कि चुनाव के लिए अगर संभव हो तो अगली बैठक बुलाई जाए। इस पर निदेशक सिख गुरुद्वारा (दिल्ली) की तरफ से तर्क दिया गया कि उनके पास बैठक को रद्द करने का अधिकार नहीं है। इस पर सदस्यों की तरफ से पूरी एक्ट की कॉपी थमा दी गई। साथ में सोशल मीडिया पर भी एक्ट में दिए गए प्रावधानों से जुड़े पेज की फोटो प्रसारित की गई। यहां तक आरोप लगे कि जिनके हाथों में चुनाव कराने की जिम्मेदारी है वो अब अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।