नई दिल्ली। दिल्ली सेवा विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलते ही यह विधेयक अब कानून बन गया है। भारत सरकार की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। जारी अधिसूचना के मुताबिक इस कानून को 19 मई से ही लागू माना जाएगा। माना जा रहा है कि इस कानून के लागू होने के बाद अब दिल्ली सरकार के प्रशासन में भी बदलाव नजर आएगा। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इस अधिनियम को राषट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 कहा जाएगा। इसे 19 मई 2023 से लागू माना जाएगा।
बता दें कि विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा और लोकसभा में एक अगस्त को इसे संसद में पेश किया गया था। इस विधेयक के विरोध में पूरा विपक्ष खड़ा था। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस विधेयक को ही 2024 का सेमीफाइनल बताया था। इस विधेयक पर चर्चा के बाद एक अगस्त की शाम को राज्यसभा में वोटिंग हुई थी जिसमें 131 वोट के साथ दिल्ली सेवा विधेयक राज्यसभा में पास हो गया था। इस विधेयक के विरोध में 102 ही वोट पड़े थे। वहीं, लोकसभा में विपक्षी दलों के बायकॉट के बीच इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया था। संसद के दोनों सदनों में विधेयक पारित होने के बाद अंतिम मंजूरी के लिए इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। अब राष्ट्रपति से मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून बन गया है।
क्या है दिल्ली सेवा विधेयक?
यह बिल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सिविल सर्विस अथॉरिटी के गठन से संबंधित है जो कि अफसरों की ट्रांसफर, पोस्टिंग और अनुशासन से संबंधित फैसले लेगी। इस अथॉरिटी के चेयरमैन मुख्यमंत्री होंगे। इसके अलावा उसमें मुख्य सचिव और गृह सचिव भी होंगे। यह अथॉरिटी पब्लिक ऑर्डर के अलावा अफसरों के तबादले और पोस्टिंग की सिफारिश करेगी। हालांकि इस पर अंतिम फैसला उपराज्यपाल लेंगे। किसी भी मतभेद की स्थिति में उपराज्यपाल का ही फैसला मान्य होगा। वहीं, दिल्ली महिला आयोग जैसे आयोगों और बोर्ड में भी नियुक्ती का फैसला यह अथॉरिटी लेगी।