दिल्ली पुलिस ने किए बड़े खुलासे, 17 साल की उम्र में हथियारों की तस्करी, कई राज्यों में फैला नेटवर्क

दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे के पास से भारी मात्रा में कारतूस बरामदगी के मामले में पूर्वी जिले की पुलिस लगातार नए खुलासे कर रही है।

Update: 2022-08-23 01:45 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे के पास से भारी मात्रा में कारतूस बरामदगी के मामले में पूर्वी जिले की पुलिस लगातार नए खुलासे कर रही है। जांच में पता चला है कि गिरोह के सदस्य उत्तराखंड से कारतूस और राइफल्स दिल्ली के रास्ते बस के जरिए बिहार के आरा में रेत खनन माफियाओं तक पहुंचा रहे थे।

पुलिस ने दो दिन पहले गिरोह के सरगना शुभम सिंह को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से दबोचा है। जांच में पता चला कि हाल ही में शुभम ने छह राइफल्स माफियाओं को पहुंचाए थे। पुलिस की टीम अब इन माफियाओं की तलाश में जुटी हुई है। इनकी गिरफ्तारी के बाद नाम का खुलासा करेगी।
बालू खनन माफिया में अक्सर होती है भिड़ंत
आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि है कि आरा जिले के भोजपुर इलाके के सोन नदी में रेत खनन के लिए सरकार से टेंडर मिलता है, लेकिन अक्सर वह अपने आवंटित क्षेत्र की सीमा के बाहर भी खनन करने लगते हैं। कुछ ऐसे भी माफिया हैं, जो अवैध तरीके से रेत खनन करते हैं। रेत खनन को लेकर माफिया में झगड़े होते रहते हैं और अपना दबदबा बनाए रखने के लिए फायरिंग करते हैं। दूसरे पक्ष के माफियाओं को डराने और धमकाने के लिए भी बड़ी संख्या में बंदूक और कारतूस की जरूरत होती है। ऐसे में वह इन गिरोह से संपर्क कर अधिक संख्या में हथियार की मांग करते हैं। आरोपी उनकी मांग के अनुसार मोटी रकम लेकर हथियारों की आपूर्ति भी करते हैं।
बरामद हुए थे कारतूस
पुलिस ने आनंद विहार अड्डे से जो 2251 कारतूस बरामद किए थे, उसमें आठ तरह के हथियारों के कारतूस शामिल थे। जांच में सामने आया कि परीक्षित नेगी देहरादून के एक गन हाउस मालिक है। मेरठ जेल में बंद बदमाश अनिल और जौनपुर के शुभम सिंह मांग के अनुसार हथियारों का इंतजाम करते थे। इसके लिए वह हथियारों के रिकॉर्ड में हेराफेरी करता था।
गिरफ्तार सात में एक गन हाउस का मालिक
पुलिस अब तक गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें अजमल, राशिद, परिक्षित नेगी, सद्दाम, अकरम और नासिर के अलावा गिरोह का सरगना शुभम सिंह है। परीक्षित देहरादून के एक गन हाउस मालिक है। मेरठ जेल में बंद बदमाश अनिल व जौनपुर के शुभम सिंह मांग के अनुसार हथियारों का इंतजाम करते थे। पुलिस जांच में पता चला कि परीक्षित नेगी गैंगस्टरों को कारतूस उपलब्ध कराने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी करता था। वह अपने रिकॉर्ड में सरकारी दरों पर मिले कारतूसों को किसी अन्य गन हाउस को सरकारी दरों पर ही बेचने की फर्जी रिपोर्ट दर्ज करके रखता था, जबकि उन कारतूसों वह गैंगस्टरों को बेचता था। पुलिस ने रिकॉर्ड जब्त कर लिया है।
डीसीपी के नेतृत्व में टीम कर रही काम
हथियार तस्करों पर शिकंजा के लिए पूर्वी जिले की डीसीपी प्रियंका कश्यप के नेतृत्व में टीम लगातार काम कर रही है। मधु विहार के एसीपी नीरव पटेल और पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र थाने के एचएचओ सुरेंद्र कुमार टीम के साथ आरोपियों की धर पकड़ में जुटे हुए हैं। इस क्रम में पुलिस की टीम उत्तराखंड से लेकर बिहार तक इस गिरोह से जुड़े सभी आरोपियों की तलाश कर रही है। जल्द ही और आरोपी पुलिस के हाथ लग सकते हैं।
सरगना 17 साल की उम्र से कर रहा अपराध
हथियार तस्कर गिरोह का सरगना शुभम सिंह 17 साल की उम्र से ही अपराध कर रहा है। वह बिहार के आरा के बालू खनन माफियाओं के सपंर्क था, जिन्हें फायरिंग के लिए हथियारों की जरूरत थी। ऐसे में उसने मेरठ के हथियार तस्कर अनिल बाल्यान से संपर्क किया। अनिल ने उसे परीक्षित से मिलवाया। उसने अन्य को जोड़ा। इसके बाद देहरादून से बिहार के भोजपुर के लिए हथियारों की तस्करी शुरू कर दी।
इन राज्यों से आते हैं हथियार
भारतीय तस्करों के खिलाफ की गई कार्रवाई के दौरान इस बात का खुलासा हुआ है कि इनका नेटवर्क दिल्ली सहित यूपी, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड में हैं। कार्बाइन, ऑटोमैटिक पिस्टल, रिवॉल्वर, डबल बैरल गन, सिंगल बैरल गन जैसे हथियारों की तस्करी की जाती है।
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