दिल्ली-एनसीआर की हवा हुई जहरीली: पीएम 2.5 और 10 से इतर जमीनी ओजोन प्रदूषण बना नया खतरा
रिपोर्ट: वर्ष 2022 इतिहास में सबसे ज्यादा गर्म रहने वाले वर्षों में से एक है। इस साल ही व्यापक रूप से जमीनी ओजोन प्रदूषण देखा गया है जिससे दिल्ली-एनसीआर की हवा अत्यधिक जहरीली हो गई है। आमतौर पर गर्म दिन मानकों से अधिक ओजोन स्तर को रिकॉर्ड करते है जबकि इस बार गर्मी में स्टेशनों का प्रसार काफी बड़े लैंडस्केप पर है। यदि छह बड़े महानगरों की बात की जाए तो दिल्ली-एनसीआर के बाद इनमें मुंबई दूसरे स्थान पर है। यह जानकारी विश्व पर्यावरण दिवस से पहले सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) की ओर से जारी की गई जो कि सीएसई में अर्बन लैब की वायु गुणवत्ता ट्रैकर पहल का हिस्सा है।
दिल्ली एनसीआर में बीते 4 वर्षों में हुआ ओजोन प्रदूषण का सबसे अधिक प्रसार: सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा इससे पहले कि हम पार्टिकुलेट मैटर के प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित कर पाते जमीनी स्तर के जहरीले ओजोन का खतरा हमारे सिर पर मंडराने लगा है। चेतावनी के संकेतों के बावजूद इस समस्यापर्याप्त नीति या जनता का ध्यान आकर्षित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अगर इस समस्या के लिए जल्दी समाधान के कदम नहीं उठाए गए तो यह आने वाले वर्षों में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट के रूप में सामने आ सकता है। क्योंकि ओजोन प्रदूषण के कारण मृत्यु की आयु-मानकीकृत दर भारत में सबसे अधिक है।
अस्थमा, क्रॉनिक, पल्मनरी डिसीज जैसी बीमारियां बढ़ेंगी: वहीं सीएसई के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक अविकल सोमवंशी ने कहा ओजोन प्रदूषण के कारण कई स्वास्थ्य के गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। इससे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिसीज हो सकता है। खासतौर से ऐसे बच्चे जिनके अविकसित फेफड़े हैं या फिर वृद्धों को इसके गंभीर दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। यह क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस या काफी तीव्रता वाले अस्थमा अटैक का कारण बन सकता है।
बीते वर्ष की अपेक्षा मार्च अप्रैल में 33 फीसद ज्यादा दर्ज किया ओजोन प्रदूषण: दिल्ली-एनसीआर में बीते चार वर्षों में सबसे ज्यादा ओजोन प्रदूषण का प्रसार हुआ। सभी 16 स्टेशन पर मार्च-अप्रैल में ओजोन अपने मानक स्तर से अधिक पाया गया। यदि बीते वर्ष से तुलना करें तो मार्च-अप्रैल में यह 33 फीसदी ज्यादा रिकॉर्ड किया गया। नई दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली सबसे ज्यादा जमीनी ओजोन से त्रस्त रहे। दिल्ली के बाहर ग्रेटर नोएडा सबसे बड़ा हॉटस्पॉट रहा। वहीं, पूर्वी और केंद्रीय दिल्ली में काफी खराब ट्रेंड देखने को मिल रहा है। ग्राउंड लेवल ओजोन हॉटस्पॉट वहां ज्यादा हैं जहां नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर कम है। लॉकडाउन के मुकाबले घंटे का जमीनी ओजोन स्तर 23 फीसदी बढ़ गया है।