दिल्ली न्यूज़: टोल टैक्स कंपनी से सांठकर कर आवांछित लाभ उठाने के संबंध में लगे आरोप को दिल्ली नगर निगम ने बेबुनियाद बताया है। निगम ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 2017 में एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर डिवलपर्स लिमिटेड कंपनी को 1206 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष के अनुसार पांच सालों के लिए ठेका दिया था। ठेका मिलने के बाद कंपनी ने इस्टर्न पेरिफेरल तथा वेस्टर्न पेरिफेरल के खुलने और फ्री लेन से टोल वसूली रोकने के न्यायालय के आदेश के बाद नुकसान का दावा किया और नुकसान की भारपाई की मांग की। एमसीडी ने कंपनी द्वारा आवश्यक भुगतान न किये जाने पर अनुबंध समाप्त कर दिया। साथ ही एमसीडी द्वारा इस कंपनी की जमानत राशि भी जब्त कर ली गई।
वर्तमान में एमसीडी ने इस कंपनी की संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी को बंद करने का मामला एनसीएलएटी में विचाराधीन है। कंपनी के खिलाफ सभी कानूनी कदम उठाए गए हैं और यह मामला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। निगम द्वारा 2021 में टोल टैक्स का ठेका शहाकर ग्लोबल लिमिटेड के नाम की कंपनी को 786 करोड़ रूपए में दिया गया। निविदा का आरक्षित मूल्य 636 करोड़ था, जिसके विरूद्ध सहकार की बोली 786 करोड़ रूपए थी। सहकार दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान भारी वाहनों के प्रवेश को प्रतिबंधित किये जाने की अवधि को छोड़कर पूरी राशि का भुगतान कर रहा है। कंपनी को दी गई छूट भी दिल्ली सरकार द्वारा द्वारा लॉक डाउन लगाने के कारण हुई अप्रत्याशित घटना के कारण और अनुबंध समझौते के अनुसार ही दी गई।