दिल्ली हाईकोर्ट ने अमरिंदर सिंह उर्फ राजा की याचिका पर कहा- आपराधिक केस की सुनवाई के दौरान आरोपी का अदालत में मौजूद रहना अनिवार्य
दिल्ली हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों की सुनवाई में आरोपी की मौजूदगी को अनियार्य बताया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों की सुनवाई में आरोपी की मौजूदगी को अनियार्य बताया है। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी अपने खिलाफ होने वाली आपराधिक कार्यवाही में शामिल होने के लिए किसी को विशेष पावर ऑफ अटॉर्नी देकर नहीं भेज सकता। जस्टिस रजनीश भटनागर ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए की है। आपराधिक मामले में फरार आरोपी अमरिंदर सिंह उर्फ राजा ने याचिका में अपने खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को बंद करने की मांग की थी। आरोपी ने सुखविंदर सिंह को स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी देकर हाईकोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 227 और अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत यह याचिका दाखिल की थी।
कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आपराधिक मामले की सुनवाई में आरोपी की निजी रूप से उपस्थिति अनिवार्य है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि आपराधिक मामलों में तीसरे पक्ष की उपस्थिति आपराधिक न्याय प्रणाली के उद्देश्य को पराजित करेगी। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी ने किसी अन्य व्यक्ति को स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी देकर याचिका दाखिल की है, ऐसे में यह विचार योग्य नहीं है।
2010 में हुई थी एफआईआर : आरोपी ने इस याचिका के माध्यम से उसके खिलाफ 2010 में दर्ज एफआईआर व इस मामले में उसे भगोड़ा घोषित करने और संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई को बंद करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा है कि सभी तथ्यों और कानूनी प्रावधानों के मद्देनजर आरोपी के खिलाफ दर्ज मुकदमा को बंद नहीं किया गया सकता है।
2010 में दर्ज मामले में फरार चल रहा आरोपी
इस मामले में आरोपी के खिलाफ 2010 में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया था और मार्च 2016 में अदालत ने उसे फरार घोषित कर दिया। इसके बाद सीआरपीसी की धारा 82 व 83 के तहत आरोपी को भगोड़ा घोषित करने और उसकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू की गई। इसी के बाद आरोपी ने एक व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी देकर अपनी तरफ से मुकदमा खारिज करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल करने के लिए अधिकृत किया था।