दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएसडी के लिए निदेशक की नियुक्ति के प्रस्ताव की नामंजूरी बरकरार रखी
नई दिल्ली (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के निदेशक के रूप में डॉ. जे. तुलसीधारा कुरूप की नियुक्ति के प्रस्ताव को खारिज करने के केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के फैसले को बरकरार रखा है।
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) के पास कुरूप की उम्मीदवारी को अस्वीकार करने के वैध कारण थे।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत मूल फाइलों सहित मामले की व्यापक समीक्षा करने के बाद अदालत को 29 जनवरी 2022 के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला।
अदालत ने कहा, "... पूरे मामले, तथ्यों, परिस्थितियों, प्रस्तुतियों, आपत्तियों, आक्षेपित आदेश की सामग्री और, सबसे महत्वपूर्ण, संस्कृति मंत्रालय की अवर सचिव सुश्री अंजना द्वारा इस न्यायालय के समक्ष रखी गई मूल फाइलों की सामग्री पर विचार करते हुए इस न्यायालय को 29 जनवरी 2022 के आक्षेपित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला। निदेशक के पद के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी पर विचार करने के प्रस्ताव को अस्वीकृत करने के लिए एसीसी/एनएसडी के पास पर्याप्त कारण थे।''
कुरुप ने 2018 में निदेशक पद के लिए आवेदन किया था और बाद में सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के माध्यम से पता चला कि वह योग्यता में पहले स्थान पर थे। इसके बावजूद, उनकी नियुक्ति से इनकार कर दिया गया जिसके कारण उन्होंने याचिका दायर की।
हालाँकि, अदालत ने कहा कि एसीसी की भूमिका न्यायिक नहीं है और निर्णय के लिए स्पष्ट कारण बताने की कोई बाध्यता नहीं है।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया पर पर्याप्त रूप से विचार-विमर्श किया गया, प्रासंगिक कारकों पर विचार किया गया और अदालत को समिति के फैसले में कोई गंभीर अवैधता नहीं मिली।
अदालत ने कहा कि जब तक नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को बरकरार रखा जाता है, तब तक प्रशासनिक निर्णयों की जांच की आवश्यकता नहीं है।