दिल्ली सरकार ने बनाई योजना, राजधानी में जल्द ही प्रत्यारोपित पेड़ों का होगा थर्ड पार्टी ऑडिट, एफआरआई देहरादून रहेगा शामिल

राजधानी में जल्द ही प्रत्यारोपित पेड़ों की सफलता व जीवित रहने की दर का थर्ड पार्टी ऑडिट होगा।

Update: 2022-03-20 02:46 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजधानी में जल्द ही प्रत्यारोपित पेड़ों की सफलता व जीवित रहने की दर का थर्ड पार्टी ऑडिट होगा। दिल्ली सरकार ने यह योजना बनाई है, जिसमें देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) शामिल रहेगा। इसके लिए छह माह का समय निर्धारित किया गया है।

वन विभाग के मुताबिक, बीते वर्ष के अंत तक दिल्ली के 23 स्थानों पर 12,852 पेड़ लगाए जा चुके हैं। इन पेड़ों की सफलता और उत्तर जीविता दर का आकलन करने के लिए एफआरआई टीम प्रत्यारोपण के लिए साइट चयन मानदंड, गड्ढों के आकार और उनके अंतर को देखेगी। साथ ही, प्रत्यारोपण की विधि और समय, प्रत्यारोपित पेड़ों का स्वास्थ्य, विकास और रखरखाव सूची का भी आकलन किया जाएगा।
एफआरआई के वैज्ञानिक सिंचाई आवृत्ति, मिट्टी नमी संरक्षण, चेक डैम, बाड़ लगाने के उपायों, जंगल विज्ञान प्रथाओं व जैविक और अजैविक हस्तक्षेपों आदि के खिलाफ सुरक्षा रणनीतियों का भी जायजा लेंगे। इसके लिए सात सदस्यीय टीम रहेगी, जिसका नेतृत्व एफआरआई के निदेशक एएस रावत करेंगे।
दिल्ली सरकार ने दिसंबर 2020 में वृक्ष प्रत्यारोपण नीति को अधिसूचित किया था, जिसके तहत संबंधित एजेंसियों को अपने विकास कार्यों से प्रभावित होने वाले कम से कम 80 फीसदी पेड़ों का प्रत्यारोपण करना होता है। नीति के अनुसार, वृक्ष प्रत्यारोपण के एक वर्ष के अंत में वृक्ष जीवित रहने की दर 80 फीसदी है। एफआरआई ने 2016 से 2019 तक दिल्ली में किए गए वार्षिक पौधरोपण का ऑडिट किया था, जिसके तहत एक ऑडिट रिपोर्ट निकाली गई थी।
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 से 2019 के बीच दिल्ली में लगाए गए 72 फीसदी से 81 फीसदी पौधे जीवित पाए गए थे। रिपोर्ट में उत्तर डिवीजन में जीवित रहने की दर 80.21 फीसदी, पश्चिम मंडल के अलीपुर रेंज में 78.5 फीसदी और नजफगढ़ रेंज में 75.68 फीसदी है। वहीं, दक्षिण रेंज स्थित महरोली में पेड़ों के जीवित रहने की दर 72 फीसदी, असोला भट्टी चरण एक में 76 फीसदी और चरण दो में 81.33 फीसदी थी।
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