दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने बताया, यूनीटेक के पूर्व प्रवर्तक संजय चंद्रा की पत्नी मनी लॉड्रिंग में है संलिप्त

Update: 2022-03-25 08:42 GMT

दिल्ली न्यूज़: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यूनीटेक के पूर्व प्रवर्तक संजय चंद्रा की पत्नी प्रीति चंद्रा की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुये सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार को बताया कि वह भी मनी लॉड्रिंग में संलिप्त है और उसके देश छोड़कर जाने की पूरी संभावना है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह ने ईडी की दलील सुनने के बाद प्रीति चंद्रा को अपनी नानी के श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिये सशर्त पांच घंटे जेल से बाहर जाने की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रीति चंद्रा एक दिन के लिये सुबह 10 बजे से दोपहर तीन बजे तक अपनी नानी के श्राद्ध कर्म में शामिल हो सकती हैं। खंडपीठ ने साथ ही पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस दौरान वे प्रीति के साथ रहें। आरोपी जेल से बाहर रहने के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकती है या किसी दस्तावेज को नहीं देख सकती है।

प्रीति फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। ईडी ने मनी लॉड्रिंग मामले में यूनीटेक के प्रवर्तकों संजय और अजय चंद्रा तथा संस्थापक रमेश चंद्रा आदि पर छह जून 2018 को मामला दर्ज किया था। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रीति चंद्रा सक्रिय रूप से मनी लॉड्रिंग मामले में शामिल है और वह संयुक्त अरब अमीरात से काम रही थी। ईडी ने बताया कि उन्हें केमन द्वीप, मॉरीशस और सिंगापुर आदि में कई परिसंपत्तियां मिली हैं। ईडी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुये अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल माधवी दीवान ने कहा कि आरोपी प्रीति के पास डोमिनिकन रिपब्लिक का पासपोर्ट है और भारत की इससे कोई प्रत्यार्पण संधि नहीं है।

दीवान ने बताया कि आरोपी गत साल मार्च में देश छोड़ कर भागने का प्रयास कर रही थी लेकिन लुकआउट सुर्कलर के कारण वह भाग नहीं पायी। प्रीति के बच्चे अमेरिका में हैं, उसके पास अमेरिका का भी पासपोर्ट है और विदेशों में काफी संपत्ति भी है। वह पूरे मामले में सक्रिय भूमिका में रही है। उन्होंने बताया कि आरोपी त्रिकार ग्रुप के माध्यम से अपना काम कर रही थी और वह यूनीटेक समूह से अन्य संस्थानों में बड़ी धनराशि हस्तांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थी। उसने जेल अधिकारियों से सांठगांठ कर ली थी और वे उसके संदेशों को उसके पति और पति के भाई तक पहुंचा रहे थे। प्रीति के वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उनकी मुवक्किल ने अप्रैल 2016 में डोमिनिकल रिपब्लिक की नागरिकता ली जबकि उसके खिलाफ 2018 में मामला दर्ज किया गया था। खंडपीठ ने इस पर दवे से सवाल पूछा कि आरोपी को इस नागरिकता की जरूरत ही क्या थी। जब उनके बच्चे अमेरिका में हैं, उनके पास अमेरिका का पासपोर्ट है और वह यूएई से काम कर रही थीं। दवे ने मानवता के आधार पर प्रीति को अपने परिवार के श्राद्ध कर्म में शामिल होने की अनुमति देने की मांग की। प्रीति चंद्रा का कहना था कि उसकी नानी का निधन 14 मार्च को हुआ है और वह उनके अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहती है।

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