दिल्ली: दिल्लीवासियों पर पड़ेगा आर्थिक बोझ अगर एक निगम में संपत्ति-कर बढ़ा तो
दिल्ली न्यूज़: तीनों उत्तरी, दक्षिणी व पूर्वी दिल्ली नगर निगम के एकीकरण का बिल संसद के लोकसभा व राज्यसभा में पारित हो चुका है। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद अधिसूचना जारी होते ही तीनों एक हो जाएगी। लेकिन दिल्लीवासियों को एक दिल्ली नगर निगम से जो पहला सौगात मिल सकता है वह है वर्तमान संपत्ति-कर के दर में वृद्धि का फैसला। अगर संपत्ति-कर दर में वृद्धि का निर्णय निगम प्रशासन ने लिया तो दिल्लीवासियों के जेब पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ सकता है।
दरअसल निगम की पांचवी मूल्यांकन समिति की रिपोर्ट जल्द ही आने वाली है। समिति के रिपार्ट के आधार पर संपत्ति-कर दर का निर्धारण किया जाता है। अगर समिति ने अपनी रिपोर्ट में संपत्ति-कर के दर में वृद्धि करने की सिफारिश की तो निगम प्रशासन उसे हर हाल में लागू कर सकता है क्योंकि निगम की आर्थिक स्थिति पहले से ही डावांडोल है। आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए निगम को अधिक से अधिक राजस्व चाहिए। पिछले कई सालों के बजट में निगमायुक्त निगम के बजट प्रस्तावों में संपत्ति-कर दर में वृद्धि दर करने का प्रस्ताव लाते रहे हैं, लेकिन हर बार निगम में जनता द्वारा चुनकर भेजे गए भाजपा नेता चुनावी दृष्टिकोण के अलावा व्यापारियों व अन्य लोगों के दबाव में संपत्ति-कर की दर में वृद्धि होने के प्रस्ताव खारिज करते रहे हैं, लेकिन इस बार परिस्थति अलग है। निगमों के एकीकरण के चलते निगम चुनाव टल गया है। अब परिसीमन के बाद ही चुनाव होने की संभावना है।
फिलहाल हाल-फिलहाल चुनाव होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। नतीजतन निगम प्रशासन का कार्यभार पूरी तरह से कार्यपालिका यानी कि नौकरशाहों के हाथ में हो गया है। अब अगर मूल्यांकन समिति संपत्ति-कर दर में बढोतरी की सिफारिश करती है तो यह निगम प्रशासन संपत्ति-कर की दर में बढोतरी करने में पीछे नहीं हटेंगी। हालांकि इसमें भी अंतिम फैसला केंद्र सरकार के निर्देश पर ही लेने की पूरी संभावना है।