दिल्ली सर्किल: एनडीएमसी राजधानी में 50 फीसदी जैविक खाद की ज़रूरत को पूरा कर रहा हैं

Update: 2022-03-24 13:15 GMT

दिल्ली: पतझड़ के मौसम में हर ओर सूखी पत्तियां गिरी दिखाई दे रही हैं। उसमें भी एनडीएमसी इलाका जोकि दिल्ली का सर्वाधिक ग्रीन एरिया कवर करने वाला नगर निकाय है उसके अंतर्गत आने वाले इलाकों में सूखी पत्तियों की भरमार है। इन पत्तियों का प्रयोग कर एनडीएमसी अपने पार्कों और उद्यानों को सुंदर बनाने के लिए ग्रीन ऑर्गेनिक खाद बनाने का कार्य कर रही है। उक्त बात उद्यान विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नेहरू पार्क का दौरा करने के दौरान एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने बताई।

खाद उत्पादन की प्रक्रिया में लगता है 50-60 दिन का समय: उपाध्याय ने बताया कि वर्तमान में एनडीएमसी के 47 क्षेत्र है जिसमें मुख्य रूप से नेहरू पार्क, लोधी गार्डन, तालकटोरा गार्डन, चिल्ड्रन पार्क सहित कॉलोनी पार्क है जिसमें 110 कम्पोस्ट पिट बनाए गए हैं, जिनमें प्रति दिन 1 से 1.5 टन खाद का उत्पादन किया जाता है। खाद उत्पादन की प्रक्रिया में कम से कम 50-60 दिन का समय लगता है। उन्होंने बताया कि एनडीएमसी केवल अपने प्रमुख उद्यानों और कॉलोनी पार्कों के हरे कचरे का उपयोग करती है। जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सड़क के किनारे से पत्तियों के उठाने का कार्य किया जाता है लेकिन पार्क के अंदर से एकत्र किए गए सूखे कचरे को बागवानी विभाग द्वारा कंपोस्ट पिट में संसाधित किया जाता है। मौजूदा कम्पोस्ट पिट पार्कों के अंदर उत्पन्न पूरे हरे कचरे का उपयोग करने के लिए पर्याप्त है और सड़क की ओर से एकत्र किए गए अतिरिक्त कचरे को स्वास्थ्य विभाग द्वारा ट्रकों के माध्यम से ओखला कम्पोस्ट प्लांट में स्थानांतरित किया जाता है। उपाध्याय ने बताया कि यह मिट्टी के लिए सबसे स्वास्थ्यप्रद खाद है। जिसके जरिए एनडीएमसी अपनी आवश्यकता का 50 फीसदी उत्पाद और प्रमुख उद्यानों को बनाए रखने व नई दिल्ली के गोल चक्कर, कॉलोनी के छोटे पार्कों आदि की सुंदरता को बढ़ाने के माध्यम से उपयोग कर रहा है।

जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया मौसम पर निर्भर: एनडीएमसी के निदेशक उद्यान रईस अली ने प्रक्रिया की तकनीकी जानकारी देते हुए बताया कि गडढों में खाद बनाने के तीन घटक हैं जिनकी गहराई 2.30 से 3 मीटर है। पार्क या आस-पास की सूखी पत्तियों को एकत्र कर धूम में छोड़ दिया जाता है। नमी खत्म होने पर शेडर मशीनों से शाखाओं से पत्तियों को अलग कर सूखी पत्तियों को कुचलकर जहां तक संभव हो उतना पतला पाउडर बनाते है। इस पाउडर पर रोगाणुओं और पानी का छिड़काव किया जाता है। कम्पोस्ट पिट में छेद होते हैं जो ऑक्सीजन की आपूर्ति करने और नमी देने में मदद करते हैं। हालांकि पूरी प्रक्रिया मौसम पर पूरी तरह निर्भर करती है।

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