दिल्ली बम धमाका: गुनहगार देविंदर पाल सिंह भुल्लर की रिहाई पर समीक्षा बोर्ड ने फैसला टाला
दिल्ली क्राइम अपडेट: वर्ष 1993 में दिल्ली बम धमाका मामले के दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की समय पूर्व रिहाई पर सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) ने अपना फैसला टाल दिया है। इस बारे में बुधवार को एसआरबी की बैठक आयोजित हुई। गृह मंत्री सत्येंद्र जैन की अध्यक्षता में हुई बोर्ड की बैठक में अगली बैठक तक इस मामले को टाल दिया गया। भुल्लर फिलहाल अमृतसर जेल में बंद है। भुल्लर की रिहाई के लिए कुछ सिख नेताओं की मांग ने पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले तूल पकड़ लिया था। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने चुनाव के दौरान पंजाब में शांति और सांप्रदायिक सदभाव को मजबूत करने के बड़े हित में भुल्लर की तत्काल रिहाई का अनुरोध किया था। उन्होंने दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पर भुल्लर की रिहाई में बाधा डालने का आरोप लगाया था। जिस पर पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने गए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में पलटवार करते हुए कहा था कि शिअद इस संवेदनशील मुद्दे पर गंदी राजनीति कर रहा है। उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा इस बारे में जल्द बैठक बुलाए जाने की बात कही थी। केजरीवाल ने बयान में कहा था कि उन्होंने इस बारे में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। बता दें कि बोर्ड में गृह मंत्री के अलावा छह सदस्य होते हैं। जिसमें तिहाड़ जेल के महानिदेशक, दिल्ली सरकार के गृह और कानून विभागों के सचिव और समाज कल्याण विभाग के निदेशक, एक जिला न्यायाधीश और दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
वर्ष 1993 में दिल्ली में हुए बम विस्फोट में नौ लोगों की हत्या और 31 लोगों को घायल करने के मामले में भुल्लर को गुनाहगार ठहराया गया था। हमले में बचने वालों में युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एमएस बिट्टा भी शामिल हैं। भुल्लर को 25 अगस्त 2001 को एक टाडा अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने उसकी मौत की सजा को कम करके आजीवन कारावास कर दिया था। भुल्लर को जून 2015 में सेहत संबंधी कारणों से दिल्ली की तिहाड़ जेल से अमृतसर केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित किया गया था।