दिल्ली एम्स : कोविड प्रोटोकॉल को अनदेखा कर यूपी समेत कई राज्यों में बिना दिशा-निर्देश दी जा रहीं विटामिन-जिंक की गोलियां

दो साल बाद भी देश में कोरोना मरीजों पर बेअसर दवाओं की खपत कम नहीं हो रही।

Update: 2022-01-25 02:13 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दो साल बाद भी देश में कोरोना मरीजों पर बेअसर दवाओं की खपत कम नहीं हो रही। कहीं, राज्य सरकार होम आइसोलेशन में मरीज को मल्टीविटामिन रोजाना खाने की सलाह दे रही है, तो कहीं अस्पतालों में रिकवर मरीजों को विटामिन की दवाओं से प्रिस्क्रिप्शन भर दिया जा रहा है। यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी ऐसे प्रिस्क्रिप्शन काफी तेजी से प्रसारित हो रहे हैं।

देश में इन्हीं अलग-अलग प्रिस्क्रिप्शन पर नई दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टर भी हैरान हैं। इनका कहना है कि सोशल मीडिया के साथ-साथ चिकित्सीय वर्ग भी इस तरह की प्रैक्टिस कर रहा है, जिसकी उम्मीद कभी नहीं थी। साथ ही कोविड प्रोटोकॉल को अनदेखा कर राज्य सरकारें भी गलत दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं।
एम्स के पल्मोनरी विभाग से डॉ. सौरभ मित्तल ने बताया कि महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक विटामिन डी, विटामिन सी, मल्टी विटामिन या फिर जिंक की दवाओं का कोविड रिकवर मरीज पर कोई सबूत सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा, 'अगर आप व्यक्तिगत तौर पर मुझसे पूछते हैं तो बगैर जांच में इन्हें लेने की अनुमति नहीं दे सकता।'
वहीं, प्रो. अंजन त्रिखा का कहना है कि महामारी में अगर सोशल मीडिया ने लोगों की मदद के जरिए एक सकारात्मक भूमिका निभाई है तो दवाओं की ओवरडोज बढ़ाने के लिए नकारात्मक भूमिका भी अदा की है। जिस तरह देश ने ब्लैक फंगस के रूप में स्टेरॉयड का दुष्प्रभाव देखा है, उसी तरह इन दवाओं का इस्तेमाल भी गंभीर दुष्प्रभाव दे सकता है।
सिर्फ जांच के बाद ही देना जरूरी
पल्मोनरी विभागाध्यक्ष डॉ. अनंत मोहन का कहना है कि विटामिन डी या फिर मल्टी विटामिन दवाएं उन मरीजों की दी जाती हैं जिनमें इनकी कमी होती है। यह सर्वविदित है कि अधिकांश आबादी को एक समय बाद इन विटामिन की कमी शरीर में आती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ये आबादी कोविड संक्रमित हुई तो इन्हें विटामिन लेना चाहिए। यह बिलकुल ही गलत है। जब एक मरीज किसी डॉक्टर के पास आता है फिर चाहे वह कोविड संक्रमित हो या फिर गैर कोविड। सबसे पहले जरूरी है कि उसकी जांच की जाए।
दो साल में करोड़ों का कारोबार
देश की 8.50 लाख दवा दुकानों को लेकर ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) के सर्वेक्षण से पता चला है कि साल 2020 में कोरोना बीमारी से बचने के लिए देश में विटामिन सी की 185 करोड़ गोलियां बिकीं, जो साल 2019 की तुलना में करीब 100 फीसदी बढ़ोतरी है। साल 2020 में विटामिन सी सप्लीमेंट की बिक्री 110 फीसदी रही, जो साल 2019 में 4.7 फीसदी थी। एबॉट हेल्थकेयर की लिमसी और कोए फार्मा की सेलिन सबसे ज्यादा बिकने वाले ब्रांड थे।
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