दिल्ली: सैलरी बढ़ाने पर AAP-BJP एक, CM केजरीवाल से लेकर विधायकों तक के अप्रेजल वाला बिल पास

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Update: 2022-07-04 14:35 GMT
दिल्ली विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री से लेकर विधायकों तक के वेतन-भत्ते में वृद्धि को लेकर संशोधन विधेयक पारित हो गया। लगभग सभी मुद्दों पर एक दूसरे के विपरीत खड़े रहने वाले आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा के विधायक इस मुद्दे पर एकमत नजर आए। चर्चा में हिस्सा लेने वाले सभी सदस्यों ने दिल्ली के विधायकों की सैलरी को बेहद कम बताते हुए इसमें इजाफे का समर्थन किया। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसके लिए टैक्सपेयर्स को भी धन्यवाद दिया। देश में दिल्ली के विधायकों की तनख्वाह सबसे कम है।
दिल्ली विधानसभा ने सोमवार को अपने सदस्यों के वेतन एवं भत्ते में 66 फीसद से अधिक की वृद्धि से संबंधित बिल सर्वसम्मति से पास कर दिए। मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचेतक, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विपक्ष के नेता के वेतन में वृद्धि से संबंधित पांच अलग-अलग विधेयक सदन में पेश किए गए और सदस्यों ने उन्हें पारित किया। सदस्यों ने कहा कि उनका वेतन बढ़ती महंगाई और विधायकों द्वारा किये जाने वाले कार्यों के अनुरूप होना चाहिए।
बिल को मंजूरी के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में आज विधायकों, मंत्रियों, स्पीकर और नेता विपक्ष के वेतन में बढ़ोतरी का बिल पास हो गया है। पिछले 11 साल से विधायकों को 12,000 रुपये वेतन मिल रहा था, जिसे अब बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दिया गया है। कुल वेतन 90,000 रुपये होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले 7 सालों में इस पर काफी चर्चा हो चुकी है। 7 साल पहले केंद्र सरकार को कुछ आपत्तियां थीं, उनके सुझावों को शामिल करने के बाद दिल्ली विधानसभा ने एक बार फिर इस बिल को पारित कर दिया है और उम्मीद है कि केंद्र इसे पास कर देगा।
वित्त विभाग का कामकाज संभाल रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि प्रतिभाशाली लोगों को राजनीति में आने के वास्ते प्रेरित करने के लिए पारितोषक हो। कॉरपोरेट को तनख्वाह की वजह से अच्छे लोग मिलते हैं। भाजपा विधायक एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने भी इस वेतन वृद्धि का समर्थन किया।
कैलाश गहलोत ने सदन में रखा वेतन वृद्धि का बिल
मॉनसून सत्र के पहले दिन कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने विधायकों के वेतन बढ़ोतरी से संबंधित विधेयक सदन में रखा था। सरकार ने पहली बार 2015 में विधायकों का वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, तब उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था। बीते साल अगस्त में दोबारा प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा गया था। बीते मई में केंद्र ने इस मंजूरी दे दी, उसके बाद एलजी की मुहर लग चुकी है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पैर और चादर का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की लंबाई से कुछ अधिक लंबी चादर होनी चाहिए और इसी तरह जरूरत से कुछ अधिक सैलरी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट वर्ल्ड की तरह विधायकों को सैलरी तो नहीं दी जा सकती है, लेकिन उनकी जरूरतें जरूर पूरी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ''हम कॉर्पोरेट में तो हैं नहीं, राजनीति में हैं। यह जनसेवा का काम है। जितना कॉर्पोरेड वर्ल्ड में रहकर कोई टैलेंट कमा सकता है, उतना तो यहां नहीं मिल सकते हैं, लेकिन इसकी तुलना नहीं हो सकती है। यहां मार्केट वैल्यू के हिसाब से सैलरी नहीं हो सकती है। मार्केट वैल्यू के हिसाब से लेना है तो मार्केट में ही रहें।''
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