नई दिल्ली (आईएएनएस)| केंद्र सरकार द्वारा एक विशेष समिति का गठन किया गया है जो मिल मालिकों, जमाकर्ताओं, व्यापारियों आदि जैसी संस्थाओं द्वारा जमा किए गए अरहर दाल के भंडार की निगरानी करेगी। समिति के गठन का उद्देश्य जमाखोरों और बेईमान सट्टेबाजों से निपटना है।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक विभाग ने अपर सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया है। यह समिति राज्य सरकारों के साथ मिलकर निकट समन्वय में आयातकों, मिल मालिकों, जमाकर्ताओं, व्यापारियों आदि जैसी संस्थाओं द्वारा जमा किए गए अरहर दाल के भंडार की निगरानी करेगी। समुचित मात्रा में दलहन आयात की लगातार आवक होने के बावजूद बाजार के भंडार संघों द्वारा स्टॉक जारी नहीं किये जाने की खबरों की वजह से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।
मंत्रालय का कहना है कि भंडार की ताजा स्थिति की निगरानी के लिए इस समिति गठित करने की नवीनतम घोषणा बाजार में जमाखोरों और बेईमान सट्टेबाजों से निपटने के लिए सरकार की मंशा को दशार्ती है। यह निर्णय आने वाले महीनों में अरहर दाल की कीमतों को नियंत्रण में रखने के सरकार के ²ढ़ संकल्प को भी प्रकट करता है। इसके अलावा, केंद्र सरकार घरेलू बाजार में अन्य दालों के भंडार की स्थिति पर भी बहुत बारीकी से नजर रख रही है, ताकि वर्ष के आगामी महीनों के दौरान दालों के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि होने की स्थिति में तत्काल आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
उपभोक्ता मंत्रालय का कहना है कि यहां पर स्मरण रखने योग्य तथ्य यह है कि सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत तुअर दाल की उपलब्धता के संबंध में भंडार को प्रदर्शित करने की व्यवस्था को लागू करने के उद्देश्य से 12 अगस्त, 2022 को राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया था। सरकार ने एक और पहल करते हुए गैर-एलडीसी देशों से अरहर दाल आयात के लिए लागू 10 प्रतिशत शुल्क को हटा दिया है, क्योंकि कोई भी शुल्क इन एलडीसी देशों से शून्य शुल्क आयात के लिए भी कार्यविधि संबंधी समस्याएं उत्पन्न करता है।
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