जल्द निपटेंगे बच्चों की कस्टडी के मामले : दिल्ली कोर्ट
माता-पिता के विवाद के बीच नाबालिग बच्चों पर पड़ने वाले मानसिक प्रभाव को देखते हुए अदालत ने कस्टडी विवाद के मामलों को जल्द निपटाने का निर्णय किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। माता-पिता के विवाद के बीच नाबालिग बच्चों पर पड़ने वाले मानसिक प्रभाव को देखते हुए अदालत ने कस्टडी विवाद के मामलों को जल्द निपटाने का निर्णय किया है। कड़कड़डूमा अदालत ने पिछले तीन महीने में कस्टडी के मामलों में काउंसलिंग के बाद सामने आए तथ्यों के आधार पर यह निर्णय लिया है। अदालत का मानना है कि प्रत्येक फैमिली अदालत में काउंसलर बैठाए गए हैं, ताकि ना केवल माता-पिता बल्कि बच्चों की काउंसलिंग भी कराई जा सके। उन्हें इस मुश्किल दौर में काउंसलिंग दी जा सके।
कुछ बच्चों ने माता-पिता को ही नकारा
काउंसलर के माध्यम से बाहर आई जानकारी के मुताबिक अधिकांश बच्चे माता-पिता के विवाद से मानसिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित मिले हैं। कुछ बच्चों ने तो माता-पिता के बजाय अपने दादा-दादी व नाना-नानी के साथ रहने की इच्छा जताई है। वह माता-पिता के झगड़ालू रवैये से इस कदर त्रस्त पाए गए कि उन्होंने माता या पिता दोनों में से किसी के पास ना रहने का निर्णय किया।
हालांकि, अदालत के पास दो ही विकल्प होते हैं। अदालत बच्चे की कस्टडी उसके जैविक माता या पिता में से किसी एक को ही दे सकती है। इसके लिए बच्चे को न्यायाधीश में चैंबर में बुलाकर उसकी मंशा पूछी जाती है। बच्चा माता अथवा पिता जिसके पास रहने की इच्छा जाहिर करता है, अदालत उसी के हिसाब से निर्णय सुनाती है। अब अदालत ने फैसला किया है कि इस तरह के मामलों का जल्द निपटारा किया जाएगा, ताकि बच्चों को उचित माहौल उपलब्ध कराया जा सके।