जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील पर आरोप तय, 26 मार्च को अगली सुनवाई
अदालत ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह, दो समुदायों के बीच दुश्मनी बढ़ाने, भड़काऊ भाषण देने सहित सहित अन्य धाराओं में आरोप तय कर दिए हैं।
अदालत ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह, दो समुदायों के बीच दुश्मनी बढ़ाने, भड़काऊ भाषण देने सहित सहित अन्य धाराओं में आरोप तय कर दिए हैं। अदालत ने कहा, आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रथम दृष्टया में साक्ष्य है। शरजील पर दिसंबर 2019 में दिल्ली के जामिया इलाके में और जनवरी 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आरोपी शरजील इमाम से पूछा कि उनके खिलाफ धारा 124 ए (देशद्रोह), 153 ए (दो धर्म के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने ), 153 बी, 505 भड़काऊ भाषण देने व और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला बनता है। क्या वे अपना अपराध स्वीकार करते हैं। इस पर शरजील ने कहा कि वह निर्दोष है और मुकदमे का सामना करेगा। अदालत ने मामले की सुनवाई 26 मार्च तय की है।
अदालत ने अभियोजन पक्ष को गवाहों को पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा इस मामले की प्रति दिन के अनुसार सुनवाई की जाए। उन्होंने अभियोजन पक्ष व आरोपी के वकील से इस मुद्दे पर अपनी राय देने को कहा है। कोर्ट ने 24 जनवरी 2022 को आरोप तय करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने शरजील की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
दिल्ली पुलिस ने बिहार से किया था गिरफ्तार
दिसंबर 2019 को शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन के आयोजकों में से एक शरजील इमाम को दिल्ली पुलिस ने जहानाबाद, बिहार से 2020 में गिरफ्तार किया था। इमाम को जामिया में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के मामले में जमानत दी गई थी। भड़काऊ भाषण दिसंबर 2019 में विश्वविद्यालय के बाहर हिंसा का कारण बना। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
दिल्ली पुलिस ने शरजील के खिलाफ चार्जशीट में कहा था, उस पर देशद्रोही भाषण देने और समुदाय के एक खास वर्ग को गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाने का आरोप है, जो देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक है। इमाम ने आरोप तय करने संबंधी आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।